हाल ही में राजस्थान और गुजरात में लम्पी त्वचा रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है। ये त्वचा रोग गायों को अपना शिकार बना रहा है। गरीब पशुपालक गायों में होते इस रोग से बहुत चिंतित हैं। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने और जानकारी व संसाधन के अभाव में वे गायों में लम्पी रोग का इलाज नहीं करवा पा रहे हैं। जिससे सैंकड़ों गाये इस त्वचा रोग की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुकी हैं। लम्पी रोग से राजस्थान में 1200 तो गुजरात में करीब 1 हज़ार पशुओं की इस त्वचा रोग से मौत हो चुकी है। ऐसे में हम इस आर्टिकल में पशुओं में होने वाले लम्पी त्वचा रोग के बारे में जानेंगे।
लम्पी रोग क्या है ?
लम्पी पशुओं में त्वचा से जुड़ा एक रोग है, जो वायरस के जरिये फैलता है। इसे लम्पी स्किन डिजीज वायरस रोग कहा जाता है। यह के गांठदार त्वचा रोग होता है। जिसमें पशु के शरीर पर गांठे हो जाती हैं।
इस रोग की तीन प्रजातियां होती है, जो निम्नलिखित वायरस के जरिये फैलती है।
1 . कैप्रिपॉक्स वायरस
2 . गोटपॉक्स वायरस
3 . शीपपॉक्स वायरस
लम्पी रोग के लक्षण क्या है?
इस रोग से जनित पशु को बुखार आता है। साथ ही आंखों एवं नाक से स्राव निकलता है और मुंह से लार टपकने लगती है। इसके अलावा लम्पी रोग की खास पहचान के तौर पर पूरे शरीर में गांठों जैसे नरम छाले पड़ जाते हैं। पशु का शरीर गांठों से भरने लगता है। जिससे पशु को भोजन करने में कठिनाई होने लगती है। पशु कमजोर पड़ने लगता है और दूध उत्पादन में कमी आ जाती है। लम्पी रोग में पशु को समय पर उपचार नहीं मिले तो उनकी मृत्यु भी हो सकती है।
कैसे फैलता है लम्पी रोग?
वायरस से फैलने वाला लम्पी रोग मच्छरों, मक्खियों, जूं और ततैयों के जरिये फैलता है। ये जब किसी संक्रमित पशु की गांठों , लार आदि पर बैठने के बाद स्वस्थ पशु पर आकर बैठते हैं तो दूसरा पशु भी संक्रमित हो जाता है। यह रोग मवेशियों के सीधे संपर्क में आने के अलावा दूषित भोजन और पानी के माध्यम से भी फैल सकता है।
इस रोग के संक्रमण से पशुओं के कैसे बचाए?
- अपने मवेशियों को संक्रमित पशुओं से अलग रखना चाहिए ताकि वायरस नहीं फैले।
- गोशाला या बाड़े में कीटों की संख्या पर काबू करने के लिए उपाय करने चाहिए।
- बाड़े या गौशाला में मच्छर, मक्खी, पिस्सू और चिंचडी आदि नहीं पनपे इसका प्रबंधन करे।
- संक्रमित पशुओं की जांच और इलाज में उपयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
किन राज्यों में इस बीमारी इसका प्रकोप फैला हैं?
लम्पी त्वचा रोग का प्रकोप खासकर राजस्थान और गुजरात में देखने को मिल रहा है। गुजरात के 14 जिलों में लम्पी रोग फ़ैल चूका है। जिसमें कच्छ, जामनगर, देवभूमि द्वारका, राजकोट, पोरबंदर, मोरबी, सुरेंद्रनगर, अमरेली, भावनगर, बोटाद, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, बनासकांठा और सूरत शामिल हैं।
लम्पी रोग से गुजरात के 880 गाँव प्रभावित हुए हैं। जहाँ करीब 1 हज़ार से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है। वहीँ दूसरी और राजस्थान में भी लम्पी रोग ने पशुओं पर जमकर कहर बरपाया है। राजस्थान में लम्पी रोग से करीब 1200 पशुओं की मौत हो चुकी है। और करीब 25 हज़ार पशु लम्पी रोग से संक्रमित पाए गए हैं। राजस्थान में लम्पी रोग जोधपुर, जालौर, नागौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ सहित दूसरे जिलों में भी पैर पसार रहा है।
लम्पी रोग का इलाज क्या है ?
मुख्य रूप इस बीमारी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है। लेकिन डॉक्टर्स के द्वारा गोटपॉक्स का टीका वैकल्पिक तौर पर इसके इलाज के लिए लगाया जा रहा है। ऐसे में पशुओं में बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।