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कहानी उदयपुर के शहीद मेजर मुस्तफ़ा जकीउद्दीन बोहरा की

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अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में 21 अक्टूबर को सेना के हेलीकॉप्टर हादसे में उदयपुर के मेजर मुस्तफ़ा जकीउद्दीन बोहरा शहीद हो गए। मेजर मुस्तफ़ा बोहरा 27 साल के थे और 6 साल से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे थे। अपने माता – पिता के एकलौते बेटे मेजर मुस्तफ़ा  करीब 9 साल पहले NDA में सेलेक्ट हुए थे। शहीद हुए मेजर मुस्तफ़ा जकीउद्दीन बोहरा का पार्थिव देह रविवार शाम को उदयपुर पहुंचा था। जहाँ खांजीपीर में उनका शव सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

मेजर मुस्तफ़ा कहाँ के रहने वाले थे?

मेजर मुस्तफ़ा मूल रूप से वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के खेरोदा के रहने वाले थे।  लेकिन उनका परिवार पिछले कई वर्षों से उदयपुर में ही रहता है। शहीद मेजर मुस्तफ़ा के परिवार में पिता जलीउद्दीन बोहरा, माता फातिमा बोहरा और बहन एलेफिया बोहरा हैं। उनके पिता का कुवैत में कारोबार है। माँ गृहणी और बहन पढ़ाई कर रही है।

मेजर मुस्तफ़ा की शिक्षा

Major Mustafa Bohra ने खेरोदा के अपनी प्राथमिक शिक्षा उदय शिक्षा मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय से पूरी की। इसके बाद वे उदयपुर के सेंट पॉल स्कूल में पढ़े। सेंट पॉल से सीनियर पूरी कर वे NDA की तैयारी में लग गए और NDA में पढ़ने चले गए। जहाँ से वे सेना के लिए चयनित हो गए। उन्होंने 6 साल भारतीय सेना को सेवाएं दी। इन 6 साल में वे लेफ्टिनेंट, कैप्टेन और मेजर बने।
Major Mustafa बोहरा समुदाय से आते थे। बोहरा समुदाय अपने व्यापार के लिए जाना जाता है। बोहरा समुदाय से बहुत कम ही लोग सेना में जाते हैं। मेजर मुस्तफ़ा उन्हीं में से एक थे। जिन्होंने बचपन से ही सेना (Indian Army) में जाने का सपना देखा था। जिसमें उनकी माँ फातिमा ने उनका साथ दिया और वे सेना में शामिल हुए। मेजर मुस्तफ़ा पढ़ाई लिखाई में अव्वल छात्र रहे थे।  उन्होंने दिन रात मेहनत करके NDA में सेलेक्शन पाया था।

मेजर मुस्तफ़ा का उदयपुर में आखरी सफर

मेजर मुस्तफ़ा अंतिम बार जनवरी माह में अपने चचेरी बहन की शादी में उदयपुर आए थे। इस दौरान उदयपुर में उनकी सगाई हुई थी। अप्रैल महीने में मेजर मुस्तफ़ा की शादी होने वाली थी। लेकिन उससे पहले ही यह हादसा हो गया।
आज मेजर मुस्तफ़ा हमारे बीच नहीं है। लेकिन अपनी अंतिम साँस तक कर्तव्यपथ का पालन करते हुए राष्ट्र के लिए जो बलिदान दिया है। उसके लिए वे सदैव हमारी स्मृतियों में विद्यमान रहेंगे। हम मेजर मुस्तफ़ा को सलाम करते हैं।

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