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मंकीपॉक्स वायरस क्या होता है? जानिए इसके संक्रमण के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

monkeypox in hindi

दुनिया अभी कोरोना महामारी से बाहर निकली भी नहीं थी कि एक और महामारी अपने पैर पसार रही है। नई महामारी का नाम मंकीपॉक्स है। यह एक प्रकार का जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। जैसा कि नाम से प्रतीत होता है। यह बंदर से दूसरे जानवरों और इंसानों में आया हुआ वायरस है।

इसलिए इसे मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता है। दुनियाभर में मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह वायरस मुख्यतः मध्य और पश्चिमी अफ़्रीका के वर्षा वनों में पाया जाता है। लेकिन वर्तमान में भारत सहित दुनिया के 75 से अधिक देशों में फ़ैल चूका है। भारत में भी मंकीपॉक्स के 6 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी आदि देशों में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में आज हम इस आर्टिकल में आपको मंकीपॉक्स वायरस के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि मंकीपॉक्स क्या है ? मंकीपॉक्स क्यों होता है ? मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है? और मंकीपॉक्स से कैसे बचा जा सकता है? पढ़िए मंकीपॉक्स वायरस पर हमारा यह खास आर्टिकल।

मंकीपॉक्स क्या होता है?

सामान्य भाषा में कहे तो मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में होने वाली बीमारी है। मंकीपॉक्स चेचक रोग की तरह ही एक दुर्लभ जूनोटिक वायरल संक्रमण है।

जो जानवरों से मनुष्यों में आया है। मंकीपॉक्स वायरस एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस होता है जो पॉक्स विरिडे फैमिली के ऑर्थो पॉक्स वायरस जीनस से जुड़ा हुआ है। इससे संक्रमित होने पर रोगी में स्मॉल पॉक्स जैसे लक्षण दिखते हैं। जिसे आमतौर पर लोग माता आना भी कहते है। यह बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है। हालाँकि इलाज के लिहाज़ से यह उतना गंभीर नहीं है। लेकिन वर्ष 1980 के बाद से मंकीपॉक्स विश्वभर में एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है।

यह वायरस पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इसलिए इस वायरस का नाम मंकीपॉक्स रखा गया। मंकीपॉक्स से इंसानों में संक्रमण का पहला मामला वर्ष 1970 में सामने आया था। आज यह दुनिया भर में फ़ैल चूका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित किया है।

मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है?

मंकीपॉक्स बुखार, दाने और गांठ के जरिये अपने लक्षण दिखाता है। इसमें शरीर पर चेचक रोग की तरह दाने हो जाते हैं। साथ ही बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ और मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण भी इसकी विशेषता हैं। इससे संक्रमित होने पर त्वचा का फटना आमतौर पर बुखार दिखने के 1-3 दिनों के भीतर शुरू हो जाता है। मंकीपॉक्स में दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा नज़र आते हैं। इसमें संक्रमित होने से लक्षणों की शुरुआत में करीब 6 से 13 दिन लग जाते हैं, जो बढ़कर 21 दिन तक भी हो सकता है।

मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने पर चेहरे, हथेलियों, तलवों, आंखों, मुंह, गले, जांघ और जननांग आदि पर दाने-रैशेज-छाले होना प्रमुख लक्षण हैं।

इसके अलावा निम्नलिखित लक्षण भी मरीज में देखने को मिलते हैं।

  • बुखार
  • सिर दर्द
  • गला खराब होना
  • बार-बार खांसी आना
  • पीठ दर्द
  • थकावट
  • मांसपेशियों में दर्द
  • सूजी हुई लसीका ग्रंथियां
  • त्वचा का फटना
  • ठंड लगना
  • शरीर में रैशेज
  • सुस्ती आना
  • खुजली की समस्या

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स ?

मुख्यतः मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने पर एक से दूसरे में फैलता है। विशषज्ञों के अनुसार यह घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और उपयोग में ली गई सामग्री के माध्यम फैलता जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से अधिक फैलता है। दूसरे शब्दों में कहे तो मंकीपॉक्स से पीड़ित जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले संक्रमित फ्लूइड के संपर्क में आने, संक्रमित जानवर के काटने, छूने आदि कारणों से मंकीपॉक्स फैलता है। इसके अलावा, संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी मंकीपॉक्स फैलता है।

मंकीपॉक्स का उपचार क्या है ?

वर्तमान समय में मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के लिए कोई सिद्ध और सुरक्षित इलाज नहीं है। ऐसे में कोई मामला सामने आने पर मंकीपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित करने के प्रयोजनों के लिए, चेचक के टीके, एंटीवायरल और वैक्सीनिया इम्यून ग्लोब्युलिन का उपयोग किया जाता है। मंकीपॉक्स होने पर चेचक का टीका लगवाएं। डॉक्टर के संपर्क में रहें। मंकीपॉक्स से ठीक होने में 2 से 3 सप्ताह तक का समय लग सकता है।

मंकीपॉक्स वायरस से बचाव के उपाय क्या है?

  1. संक्रमित जानवरों और मनुष्यों के संपर्क में आने से बचे।
  2. संक्रमित के उपयोग में ली गई वस्तुओं का प्रयोग नहीं करे।
  3. हाथ को साबुन या सेनिटाइज़र से अच्छी तरह से साफ़ करे।
  4. मरीजों की देखभाल करते समय पीपीई का प्रयोग करे।
  5. संक्रमित के साथ शारीरिक संबंध बनाने से बचे।
  6. संक्रमित व्यक्ति के क़रीब होने पर फ़ेस मास्क पहने।

भारत में मंकीपॉक्स के कितने मामले सामने आए हैं?

भारत में भी मंकीपॉक्स के 4 अगस्त तक 6 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें से एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है। यह मंकीपॉक्स से मौत का देश में पहला मामला है।

यह व्यक्ति यूएई से 22 जुलाई को केरल आया था। जिसकी मौत के बाद केंद्र सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया है। इधर, राजस्थान में भी मंकीपॉक्स का एक मामला सामने आने की जानकारी सामने आई है। जिसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन करें। अगर मंकीपॉक्स से पीड़ित हैं, तो चेचक का टीका यानी वैक्सीन जरूर लगवाएं।

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