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हीमोग्लोबिन क्या होता है? इसके कम या ज़्यादा होने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?

haemoglobin in hindi

शरीर में आयरन यानी हीमोग्लोबिन का होना बहुत जरूरी है। आयरन की कमी से आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए सबसे जरूरी है। हीमोग्लोबिन एक आयरन युक्त प्रोटीन है जो रक्त कोशिकाओं में मौजूद होता है। जो शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है, हमारा शरीर तभी सुचारू रूप से चल सकता है जब यह प्रक्रिया ठीक से हो।

यदि आहार में आयरन की कमी बनी रहती है तो हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया जैसी बीमारी हो जाती है, लेकिन शायद आप क्यों नहीं जानते कि इसके हीमोग्लोबिन में आयरन की अधिकता आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकती है। इसकी कमी और अधिकता दोनों ही शरीर के लिए घातक साबित हो सकती है।

हीमोग्लोबिन क्या है?

हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रकार का प्रोटीन है जो शरीर के सभी अंगों और कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाकी हिस्सों से फेफड़ों तक पहुंचाता है। स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति का हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर पर होना जरूरी है, सामान्य से कम होने का मतलब है कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर एक महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 से 16 और पुरुषों के शरीर में 14 से 18 के बीच सामान्य माना जाता है।

हीमोग्लोबिन की कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, इससे क्या-क्या समस्याएं होती हैं?
जब हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है तो आपका शरीर कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। आप थकान, कमजोरी, सांस फूलना, चक्कर आना, सिरदर्द, पीली त्वचा, तेजी से दिल की धड़कन और भूख न लगना, तरह की बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं।

अगर आपके शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बहुत ज़्यादा घट जाती है तो आप एनीमिया से भी पीड़ित हो सकते हैं और इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं।गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होना आम बात है। सबसे आम कारण आयरन पोषक तत्वों की कमी यानी आयरन की कमी, फोलिक एसिड, विटामिन सी और बी 12 की कमी है।

हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने के अन्य कारण भी हैं, सर्जरी के कारण अत्यधिक खून का बहना, लगातार रक्त दान, बोनमैरो की बीमारियां, कैंसर, गुर्दों की समस्याएं, गठिया, मधुमेह, पेट के अल्सर और पाचन तंत्र की बीमारियां।

ज्यादातर मामलों में, कम हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं के कम होने के कारण भी हो सकता है।

इसके अलावा निम्नलिखित समस्याएं भी देखने को मिलती है-

  • सिर, छाती के साथ-साथ पूरे शरीर में दर्द
  • आयरन की कमी से एनीमिया।
  • किडनी और लीवर की बीमारी होना
  • हृदय रोग होना
  •  त्वचा के रंग में परिवर्तन और उसका कमजोर होना
  • माहवारी के दौरान अत्यधिक दर्द
  •  बहुत अधिक ठंड लगना, तलवे और हथेलियाँ ठंडी हो जाती हैं।

हीमोग्लोबिन की अधिकता से क्या होता है?

हीमोग्लोबिन में आयरन की अधिकता की समस्या को हीमोक्रोमैटोसिस कहते हैं। कुछ साल पहले तक ‘हेमोक्रोमैटोसिस’ नामक इस बीमारी को दुर्लभ माना जाता था। लेकिन आज यह बीमारी ‘सामान्य’ श्रेणी में आ गई है। जब रक्त में हीमोग्लोबिन में मौजूद आयरन का स्तर बढ़ जाता है, तो इसे हीमोक्रोमैटोसिस कहा जाता है। पूरी दुनिया में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।

पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में हीमोग्लोबिन अधिक पाया जाता है। इसके अलावा धूम्रपान करने वालों में यह समस्या देखने को मिलती है। दरअसल, डिहाइड्रेशन के कारण हीमोग्लोबिन बढ़ने की समस्या होती है, लेकिन फिर से तरल पदार्थ लेने से यह समस्या सामान्य स्तर पर आ जाती है।

हीमोग्लोबिन की अधिकता का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, इससे क्या-क्या समस्याएं होती हैं?

शरीर में रक्त बनाने की प्रक्रिया में गड़बड़ी

रक्त में हीमोग्लोबिन के बढ़ने का कारण अस्थि मज्जा में रक्त के निर्माण में गड़बड़ी के कारण होता है। इसमें हीमोग्लोबिन की वृद्धि को प्राथमिक पॉलीसिथेमिया कहा जाता है। जब यह समस्या किसी अन्य बीमारी के कारण होती है तो इसे सेकेंडरी पॉलीसिथेमिया कहते हैं। इससे हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

नाक और आंतों में रक्तस्राव भी हो सकता है

हीमोग्लोबिन बढ़ने से गालों, चेहरे का लाल होना, नहाने के बाद हाथ-पैर में खुजली, सिर दर्द, थकान, पेट दर्द भी हो सकता है। नाक और आंतों से रक्तस्राव हो सकता है। इसकी पहचान के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है।

कई बीमारियों में अगर शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिलती है तो वह सायनोटिक हार्ट डिजीज, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसी समस्याएं शुरू कर सकता है। इस स्थिति में शरीर अधिक हीमोग्लोबिन का उत्पादन करके ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की कोशिश करता है। कई बार यह समस्या किडनी, लीवर कैंसर में भी हो जाती है। साथ ही कई बार धूम्रपान, प्रदूषण, कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर काम करने से भी दिक्कत होती है।

पुरुषों और महिलाओं में कितना होना चाहिए हीमोग्लोबिन स्तर?

आपको बता दें कि पुरुषों में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर 13.5-17.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर होता है। वहीं महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम से कम 12.0-15.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर स्वस्थ मानी जाती है। हीमोग्लोबिन मानव कोशिकाओं और फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में इनकी कमी शरीर के लिए घातक भी साबित हो सकती है। ऐसा कहा जाता है कि रक्त द्वारा फेफड़ों तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन का लगभग 97 प्रतिशत हीमोग्लोबिन की मदद से होता है।

हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर बनाए रखने के लिए क्या करें?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने के लिए पालक, अंडे, अनार, टमाटर, चुकंदर, गुड़, मूंगफली, तिल, सेब और अमरूद का सेवन शुरू करें। साथ ही हीमोग्लोबिन के स्तर को कम करने के लिए व्यायाम, रक्तदान, तनाव मुक्त कार्य, शराब का सेवन न करें और आयरन सप्लीमेंट से दूरी बनाए रखें। ऐसे कुछ बदलाव आपके हीमोग्लोबिन को संतुलित करने में मदद करेंगे।

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