जनरल बिपिन रावत
जीवन पुष्प चढ़ा चरणों में, माँगे मातृभूमि से यह वर।
तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहे न रहें।
किसे पता था कि कोयंबटूर के सुलूर आईएएफ स्टेशन से उड़ान भरने वाले वायुसेना के हेलीकॉप्टर एमआई-17 वी 5 की यह आखिरी उड़ान होगी। इस हेलीकॉप्टर में 14 लोग सवार थे, जिनमें से 13 आज हमारे बीच नहीं है। इन 13 लोगों में सेना के बहादुर जवान, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस)
जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका भी शामिल थीं। यह हेलीकॉप्टर 8 दिसम्बर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस घटना में हमारे वीर सैनिकों, सीडीएस बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका को देश ने हमेशा के लिए खो दिया। सभी शहीदों को 10 दिसम्बर को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। सरकार ने दुर्घटना के कारणों की जांच के आदेश भी दे दिए हैं। हादसे में एकमात्र जीवित ग्रुप कैप्टन वरूण सिंह का इलाज चल रहा है।
इस हादसे में हमनें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को भी खो दिया, जो कि भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। जनरल बिपिन रावत को देश के सुरक्षा मामलों में मील का पत्थर माना जाता था चाहे कश्मीर में आतंकवादियों का सफाया करना हो या फिर देश के बाहरी दुश्मनों से सीमाओं को सशक्त करना हो, जनरल बिपिन रावत का अनुभव अद्वितीय था। वे एक कुशल सैन्य अधिकारी, रणनीतिकार, सैन्य विशेषझ और बहादुर अधिकारी थे जो अपने कड़े फैसलों के लिए जाने जाते रहेंगे। आतंकवादी घटनाओं को लेकर एक बार उन्होंने कहा था कि ‘पहली गोली हम नहीं चलाएंगे, लेकिन उसके बाद हम गोलियों की गिनती नहीं करेंगे।’
आइए नज़र डालते हैं मॉं भारती के वीर सपूत स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत के जीवन पर।
कौन थे जनरल बिपिन रावत?
जनरल बिपिन रावत भारत के पहले रक्षा प्रमुख या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) थे। इससे पूर्व वे थलसेना अध्यक्ष भी रह चुके थे। केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 2020 को उन्हें देश का पहला रक्षा प्रमुख बनाया था। इससे पूर्व वे 16 दिसंबर 1978 से सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में अपने करियर की शुरुआत से लेकर लेफ्टिनेंट, कैप्टन, मेजर, लेफ्टिनेंट कर्नल, कर्नल, ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल, जनरल (सीओएएस) भी रह चुके थे। वे भारतीय थल सेनाध्यक्ष के पद पर 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक रहे थे।
जनरल बिपिन रावत का जन्म और शिक्षा
जनरल बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। इनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह जी रावत भी सेना से रिटायर्ड थे। जनरल बिपिन रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल से आगे की पढ़ाई के बाद भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से आर्मी की ट्रेनिंग पूरी की।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से बीएससी, सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से डिफेंस स्टडीज में एमफिल की थी। इसके अलावा अमेरिकी सेना कमान और जनरल स्टाफ कॉलेज से भी पढ़ाई के अलावा उन्होंने हायर कमांड कोर्स भी किया था। चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ ने उन्हें वर्ष 2011 में सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए पीएचडी की उपाधि से भी सम्मानित किया था। नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी से उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ मिला था।
जनरल बिपिन रावत का मिलिट्री करियर
जनरल बिपिन रावत का मिलिट्री करियर शानदार रहा था। बिपिन रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से 16 दिसंबर 1978 में अपने सैन्य करियर की शुरुआत की थी। इसी यूनिट में उनके पिता भी थे। अपने शानदार युद्ध कौशल, उच्च क्षेत्रों में लड़ने की कला, मजबूत रणनीति और सेन्य कौशल के चलते उन्होंने बहुत जल्दी तरक्की पाई। बिपिन रावत को ऊंचाई पर जंग लड़ने और काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन यानी जवाबी कार्रवाई के एक्सपर्ट के तौर पर जाना जाता था।
मेजर जनरल बनने के बाद बिपिन रावत को 19वीं इंफेंट्री डिविजन, उरी का कमांडिंग ऑफिसर बनाया गया। लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने दिमापुर स्थित थर्ड कॉर्प्स मुख्यालय का नेतृत्व किया। इसके अलावा सेना में मेजर के रूप में उन्होंने उरी, जम्मू और कश्मीर में एक कंपनी की कमान भी संभाली। जब वे कर्नल बने तो उन्होंने किबिथू में LOC के साथ पूर्वी सेक्टर में 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स और ब्रिगेडियर के रूप में उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के 5 सेक्टर का नेतृत्व किया।
जनरल बिपिन रावत ने यूएन मिशन के तहत कांगो में भी अपनी सेवाएं दी थी। यहां पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपिंग फोर्स की अगुवाई की। उनकी इसी उत्कृष्ठ सेवा को देखते हुए उन्हें 2 बार फोर्स कमांडर के प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित किया गया। यहां उन्होंने अपने कौशल से 7 हजार लोगों की जान बचाई थी।
जनरल बिपिन रावत के अद्भूत कौशल को देखते हुए उन्हें 1 जनवरी 2016 को साउदर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ बनाया गया। इसके बाद 1 सितंबर 2016 को उन्हें थल सेना का उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके कुछ ही महीनों के बाद 17 दिसंबर 2016 को उन्हें देश का 27वां सेना प्रमुख बनाया गया जहां वे इस पद से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर हुए। इसके बाद 1 जनवरी 2020 को जनरल बिपिन रावत को सेना के तीन अंगों का प्रमुख चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया था। वह नेपाली सेना के मानद जनरल भी थे।
जनरल बिपिन रावत गोरखा रेजिमेंट से आने वाले तीसरे ऐसे अफसर थे जिन्हें सेना प्रमुख बनने का गौरव मिला था। इससे पहले फील्ड मार्शल सैम मॉनेकशा और दलबीर सिंह सुहाग गोरखा रेजिमेंट से सेनाध्यक्ष बने थे।
सर्जिकल स्ट्राइक में निभाई थी भूमिका
पाक द्वारा वर्ष 2016 में उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद तत्कालीन आर्मी चीफ बिपिन रावत के नेतृत्व में ही 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान में बसे आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। इस सफल सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय जनरल बिपिन रावत को ही जाता है। इसके अलावा डोकलाम में चीनी सेना को पीछे धकेलने में भी जनरल बिपिन रावत की मुख्य भूमिका थी। जनरल रावत ने एलओसी, चीन बॉर्डर और नॉर्थ-ईस्ट में लंबे समय तक काम किया था। उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव था।
जनरल बिपिन रावत को कौनसे सम्मान मिले थे?
जनरल बिपिन रावत को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल
युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक, घाव पदक, सामान्य सेवा मेडल, विशेष सेवा पदक
ऑपरेशन पराक्रम मेडल, सैन्य सेवा मेडल, उच्च ऊंचाई सेवा पदक, विदेश सेवा मेडल, स्वतंत्रता पदक की 50वीं वर्षगांठ पर सम्मान, 30 साल लंबी सेवा पदक, 20 साल लंबी सेवा पदक, 9 साल लंबी सेवा पदक के अलावा संयुक्त राष्ट्र शांतिस्थापन सम्मान से भी नवाजा गया था।
जनरल बिपिन रावत की मृत्यु
जनरल बिपिन रावत की मृत्यु एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुइ थी। 8 दिसम्बर 2021 को, जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और निजी स्टाफ के अन्य सदस्यों समेत कुल 10 यात्री और चालक दल के 4 सदस्य सुलुरु वायुसेना हवाई अड्डे से भारतीय वायुसेना के मिल एमआई-17 हैलिकॉप्टर से वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज जा रहे थे, जहॉं जनरल बिपिन रावत को व्याख्यान देना था। लेकिन इसी बीच दोपहर 12:10 बजे के आसपास नीलगिरि जिले के कुन्नूर के बांदीशोला ग्राम में उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसमें जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय जनरल रावत की उम्र 63 वर्ष थी।