इन दिनों बारिश का मौसम चल रहा है। देश के कई इलाकों में भयानक बरसात हो रही है। ऐसे में जगह-जगह से बाढ़ और जलभराव जैसी ख़बरें सामने आ रही हैं। कुछ दिनों पहले ही जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ गुफा मंदिर के पास आई बाढ़ में 15 यात्रियों की मौत हो गई। बाढ़ आने का कारण बादल फटना बताया जा रहा है। बादल फटने का नाम सुनकर आपको साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में बादल फटने का भयंकर मंजर तो जरूर याद आ गया होगा। इस घटना में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। लेकिन क्या आपने इस घटना के बाद ये जानने की कोशिश की कि ये बादल का फटना असल में होता क्या हैं? अगर आपको ये जानकारी कही नही मिल पाई तो इस आर्टिकल को पढ़कर आप ये जान जायेंगे तो चलिए जानते हैं।
बादल फटने पर क्या-क्या होता है?
बादल फटने पर पलभर में ही भयंकर बारिश हो जाती है। ओले भी गिरते हैं। तूफान तक आ जाता है। कुछ किलोमीटर के हिस्से में पानी इतना बरसता है कि कुछ ही मिनटों में बाढ़ आ जाती है और फिर इस आसमानी प्रलय के कारण बाढ़ से बड़ी तबाही होती है और चारों ओर पानी-पानी हो जाता है।
क्या गुब्बारे की तरह फटता हैं बादल?
बादल फटना’ वास्तव में सबसे तेज़ बारिश के लिए यह मुहावरा के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह एक तकनीकी शब्द है। वैज्ञानिक तौर पर ऐसा नहीं होता कि बादल गुब्बारे की तरह या किसी सिलेंडर की तरह फट जाता हो। अगर किसी उदाहरण के तौर पर समझें तो जिस तरह पानी से भरा गुब्बारा अगर फूट जाए तो एक साथ एक जगह बहुत तेजी से पानी गिरता है ठीक वैसी ही स्थिति बादल फटने की घटना में देखने को मिलती है। इसे प्राकृतिक घटना को ‘क्लाउडबर्स्ट’ या ‘फ्लैश फ्लड’ भी कहा जाता है।
क्यों फटते हैं बादल?
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब बादल भारी मात्रा में पानी लेकर चलते हैं, तो वो हवा के साथ आगे बढ़ने के दौरान पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं। दरअसल, बादलों को रास्ते में गर्म हवा और पहाड़ पसंद नहीं है। पहाड़ों की ऊंचाई इसे आगे नहीं बढ़ने देती है। जब बादलों की राह में कोई बाधा आ जाती है तब वे अचानक फट पड़ते हैं, पानी के रूप में परिवर्तित होकर बरसने लगती है। इसलिए इसे हिंदी में बादल फटना और अंग्रेजी में cloudburst के नाम से पुकारा जाता है।
बारिश का ही हिस्सा है बादल फटना
इस स्थिति में एक सीमित क्षेत्र में कई लाख लीटर पानी एक साथ धरती पर गिरता है। यह किसी एक जगह पर थोड़े समय के लिए होती है। सामान्य तौर पर धरती की सतह से 12-15 किलोमीटर की ऊंचाई पर बादल फटने की घटना होती है। यह अलग से कोई घटना नहीं है, बल्कि भारी बारिश का हिस्सा है। जब करीब 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से बारिश होती है तो उस स्थिति को बादल फटना कहते है।
बादल फटने का क्या है गणित?
तो चलिए, अब हम बादल फटने को गणित से समझते हैं। मौसम विभाग की माने तो, जब अचानक 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे या उससे कम समय में 100mm या उससे अधिक बरसात हो जाए तो इसे बादल फटना कहते हैं। कई बार तो कुछ ही मिनटों में बारिश हो जाती है। बादल फटने का पहले से अनुमान लगाना मुश्किल होता है।
क्या सिर्फ पहाड़ों में ही फटता है बादल?
आमतौर पर ये माना जाता है कि बादल फटने की घटनाए पहाड़ों पर ही होती हैं। कहते हैं कि पानी से भरे बादलों के रास्ते में पहाड़ आ जाते हैं और फिर वो पहाड़ों से टकराकर फट जाते हैं और बरसने लगते हैं। पहले यह माना जाता था कि बादल फटने की घटना सिर्फ पहाड़ों पर ही होती है। लेकिन ऐसा नहीं है। पहाड़ों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में भी फटते हैं। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 26 जुलाई 2005 को बादल फटने की एक घटना के बाद से ही यह धारणा बदल गई है। बताया जाता है कि कई बार मैदानी इलाकों में भी ऐसी स्थिति बन जाती है, जब बादल फट सकता है। जब गर्म हवा को झोंका बादलों की तरफ आ जाए को इससे भी बादल फटने की घटनाएं होती हैं।
बादल फटने की पहली घटना कहाँ पर हुई थी?
वैसे तो बादल पहले भी फटते रहे हैं, लेकिन पहली बार 1970 में वैज्ञानिक आधार पर इसे रिकार्ड में किया गया। मंडी जिलों के बरोट में एक मिनट में 38.10 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। शिमला जिला के चिडग़ांव में 15 अगस्त, 1997 को बादल फटने की घटना से 1500 लोग हताहत हुए थे। हर वर्ष ऐसी पांच से छह घटनाएं होती हैं।
वीडियो में देखें कैसे फटता है बादल?
यदि आपने कभी बादल फटने का नजारा नहीं देखा है तो हम आपके लिए एक ऐसा वीडियो लेकर आए हैं जिसमें आप बादल फटने का मंज़र साफतौर से देख सकते हैं। एक फोटोग्राफर ने इस घटना को अपने कैमरे में कैद करने में कामयाबी पाई। ऑस्ट्रिया में स्थित मिलस्टैट झील के ऊपर बादल फटने की घटना को फोटोग्राफर पीटर मायर ने अपने कैमरे में कैद किया। जब उन्होंने यह वीडियो दुनिया के सामने दिखाया तो हर कोई दंग रह गया। इस वीडियो को @wonderofscience नाम के ट्विटर अकाउंट से शेयर किया गया है।
बादल फटने के दौरान किस तरह करें बचाव:
बादल फटने के दौरान जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए मौसम विभाग द्वारा कई तरह के सुझाव दिए जाते हैं।
- बारिश के मौसम में ढलानों पर रहने से बचना चाहिए।
- बारिश के मौसम में समतल जमीन वाले क्षेत्रों में रहना चाहिए।
- जिन पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन में दरार आ गई हो, तो वहां बारिश का पानी घुसने से रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।