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भारत का आम बजट कैसे तैयार होता है? क्या-क्या खास रहा इस 2022 के बजट में ?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2022 को संसद में बजट पेश किया, रोजगार, आवास और शिक्षा आदि को लेकर कई बड़ी घोषणाएं कीं। इस बार फिर कोई आयकर छूट नहीं दी गई। वित्त मंत्री ने इस बजट में युवाओं के लिए 60 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया था। वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट से अगले 25 साल की नींव रखी जाएगी। आइए जानते हैं बजट से जुड़े सभी अहम सवालों और उनके जवाबों को-

बजट क्या है?

भारत के संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार,केंद्रीय बजट देश का सालाना फाइनेंशियल लेखा-जोखा होता है। केंद्रीय बजट एक विशेष वर्ष के लिए सरकार की कमाई और व्यय का अनुमानित विवरण है। सरकार बजट के माध्यम से विशेष वित्तीय वर्ष के लिए अपनी अनुमानित आय और व्यय का विवरण प्रस्तुत करती है।

उदाहरण के लिए, किसी दिए गए वर्ष के लिए केंद्र सरकार के वित्तीय विवरण को केंद्रीय बजट कहा जाता है। सरकार को हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में बजट पेश करना होता है। भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होती है। इस अवधि के लिए देश का केंद्रीय बजट पेश किया जाता है।

दरअसल, बजट के जरिए सरकार यह तय करने की कोशिश करती है कि वह आने वाले वित्तीय वर्ष में अपनी कमाई की तुलना में किस हद तक खर्च कर सकती है।

जीडीपी पर किस तरह आधारित होता है देश का बजट ?

किसी दिए गए वर्ष में किसी देश में उत्पादित उत्पादों या सेवाओं के वर्तमान बाजार मूल्य को जीडीपी कहा जाता है। जीडीपी का मतलब सकल घरेलू उत्पाद है। इसी पर देश का बजट टिका है। दरअसल, बिना जीडीपी के बजट बनाना संभव नहीं होता। जीडीपी को जाने बिना सरकार यह तय नहीं कर सकती कि उसे राजकोषीय घाटा कितना रखना है।

साथ ही जीडीपी के बिना सरकार यह भी नहीं जान पाएगी कि सरकार आने वाले साल में कितनी कमाई करेगी। कमाई का आकलन किए बिना सरकार के लिए यह तय करना भी मुश्किल होगा कि उसे किस योजना में कितना खर्च करना है।

बजट में क्या-क्या प्रमुख बातें शामिल होती हैं?

सीधे शब्दों में कहें तो सरकार का आम बजट उसकी कमाई और खर्च का ब्योरा होता है। सरकार का प्रमुख व्यय नागरिकों की कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय, आयात पर व्यय, रक्षा पर व्यय और वेतन और ऋण पर भुगतान किया गया ब्याज है।
वहीं, सरकार को होने वाली कमाई के हिस्से में कर, सार्वजनिक कंपनियों की कमाई और बांड जारी करने से होने वाली कमाई शामिल है।

केंद्रीय बजट को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, रेवेन्यू बजट और कैपिटल बजट:-

राजस्व बजट/रेवेन्यू बजट

यह बजट सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है। इसमें सरकार द्वारा प्राप्त राजस्व प्राप्ति और राजस्व व्यय शामिल है। सरकार द्वारा प्राप्त राजस्व प्राप्ति, या कमाई, दो प्रकार की होती है – कर और गैर-कर राजस्व से आय।
राजस्व व्यय सरकार के दिन-प्रतिदिन के कामकाज और नागरिकों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर होने वाला व्यय है।
यदि सरकार का राजस्व व्यय उसकी राजस्व प्राप्ति से अधिक है, तो सरकार को राजस्व घाटा या राजस्व घाटा होता है।

पूंजी बजट/कैपिटल बजट

इसमें सरकार की पूंजी प्राप्तियां या पूंजी प्राप्तियां और उसकी ओर से किए गए भुगतान शामिल होते हैं।
सरकारी पूंजी प्राप्तियों या प्राप्तियों में जनता से लिए गए ऋण (बांड के रूप में), विदेशी सरकारों और भारतीय रिजर्व बैंक से लिए गए ऋणों का विवरण होता है जबकि कैपिटल एक्सपेंडिचर या पूंजीगत खर्च में मशीनरी, उपकरण, घर, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा पर सरकार का खर्च शामिल है।
राजकोषीय घाटा तब होता है जब सरकार का कुल व्यय उसकी कुल आय से अधिक हो जाता है।

कितने दिन पहले शुरू होती है बजट की तैयारी?

बजट बनाने की तैयारी करीब 6 महीने पहले यानी आमतौर पर सितंबर में शुरू हो जाती है। सितंबर में, मंत्रालयों, विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सर्कुलर जारी कर उनसे आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपने खर्च का अनुमान लगाने और इसके लिए आवश्यक धन का डेटा देने को कहा जाता है।

इन आंकड़ों के आधार पर बाद में बजट में जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए विभिन्न मंत्रालयों को धनराशि आवंटित की जाती है। बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद हर दिन वित्त मंत्री, वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव की बैठक होती है। अक्टूबर-नवंबर से वित्त मंत्रालय अन्य मंत्रालयों और विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करता है और तय करता है कि किस मंत्रालय या विभाग को कितना फंड दिया जाना चाहिए।

बजट बनाने वाली टीम को इस पूरी प्रक्रिया के दौरान प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष से लगातार इनपुट मिलते रहते हैं। बजट टीम में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं। बजट तैयार करने और उसे पेश करने से पहले वित्त मंत्री कई उद्योग संगठनों और उद्योग विशेषज्ञों से चर्चा भी करते हैं।

बजट से जुड़ी तमाम चीजों को अंतिम रूप देने के बाद इसका खाका तैयार किया जाता है। बजट को लेकर सब कुछ तय हो जाने के बाद बजट दस्तावेज छापा जाता है।
देश में 2020 से ही पेपरलेस बजट पेश किया जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020, 2021 और 2022 में पेपरलेस बजट पेश किया है।

बजट सत्र की शुरुआत किसके अभिभाषण से होती है?

देश के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है। दरअसल, किसी भी सत्र की शुरुआत या नई सरकार के गठन के बाद संसद का पहला सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होता है। बजट 2022 सत्र की शुरुआत भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भाषण से हुई।
संसद में बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होती है। राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाता है और उसके बाद इसे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है।

इस बार के बजट 2022 में क्या होगा सस्ता?

  • कपड़ा, चमड़े का सामान होगा सस्ता।
  • 2022 में मोबाइल फोन और चार्जर सस्ता होगा।
  • हीरे की ज्वेलरी सस्ती होगी।
  • खेती का सामान 2022 में सस्ता रहेगा।
  • पॉलिश हीरे पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई।
  • विदेशी मशीनें सस्ती होंगी।
  • इलेक्ट्रॉनिक आइटम सस्ते होंगे।
  • जूते-चप्पल भी 2022 में सस्ते ही रहेंगे।

इसके अलावा क्या है बजट 2022 में-

  • आर्टिफिशियल गहने महंगे होंगे
  • 2022 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 लॉन्च किया जाएगा।
  • आयकर में कोई छूट नहीं है, बजट 2022 में मध्यम वर्गी मायूस, कॉरपोरेट को राहत।
  • सौर क्षमता के लिए 19,500 करोड़ रूपये का अतिरिक्त आवंटन।
  • राज्य सरकार के कर्मचारियों का भी NPS में 14 फीसदी अंश अब 2022 बजट में कर कटौती के दायरे में है।
  • कटे और पॉलिश किए गए हीरे, रत्नों पर सीमा शुल्क घटाई गई।
  • कॉरपोरेट सरचार्ज 12% से घटाकर 7% किया जाएगा।
  • रिकॉर्ड 1,40,986 करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रह।
  •  बजट 2022 में आयकर में कोई छूट नहीं है।
  • वर्चुअल डिजिटल असेट से आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स।
  • राज्य सरकार के कर्मचारियों को बजट 2022 में राहत मिली है।

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