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सादगी की मिसाल : बेटा केन्द्र सरकार में मंत्री, माता-पिता गॉंव में करते हैं खेती-बाड़ी!

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जिस दौर में घर के किसी मेम्बर के सरपंच तक बन जाने पर लोग बड़े अभिमान से घूमते हैं, उसी दौर में एक ऐसे कपल भी है, जिनका बेटा केन्द्र की भाजपा सरकार में मंत्री है, इसके बावजूद वे गॉंव में साधारण जीवन जीते हैं, कोई घमंड नहीं, खेतों पर काम करते हैं और आम आदमी का जीवन व्यतीत करते हैं।

हम बात कर रहे हैं केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार में पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग तथा सूचना एवं प्रशासन मंत्रालय में राज्य मंत्री एल. मुरुगन (L. Murugan) की, जिनके माता पिता आज भी तमिलनाडु के नामाक्कल (Namakkal) में कोनुर (Konur) नामक एक छोटे से गाँव में सादगी भरा जीवन व्यतीत करते हैं।

उनके पिता 68 वर्षीय एल. लोगननाथन (L. Loganathan) और 59 वर्षीय मॉं एल. वारदम्मल (L. Varudammal) खेत में मजदूरी का काम करते हैं। ऐसा नहीं है कि यह काम उन्हें मजबूरी में करना पड़ रहा हो, ​बल्कि वे बेटे के मंत्री बन जाने के बाद भी अपना मूल खेती बाड़ी का काम नहीं छोड़कर उसी में खुशी ढूंढते हैं। खास बात यह है कि उनका अपना कोइ खेत भी नहीं है, वे दूसरों के खत पर मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं।

राज्य मंत्री एल. मुरुगन के माता-पिता गाँव में बेहद सादगी भरा जीवन व्यतीत कर उन लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं जो जरा सी सफलता पर अपनी ज़मीन ही भूल जाते हैं। एल. लोगननाथन और एल. वारदम्मल को अपने बेटे के मंत्री बनने पर बहुत गर्व है, लेकिन वह ऐशो आराम की ज़िन्दगी जीने के बजाय आम आदमी की तरह ही जीना पसंद करते हैं।

एल. लोगननाथन और एल. वारदम्मल को अपने बेटे के मंत्री बनने का जरा भी अभिमान नहीं है। वे आज भी खेतों पर काम कर अपना गुजारा चलाते हैं, वे अपने पोषण के लिए बेटे पर निर्भर नहीं होकर खुद घर खर्च चला रहे हैं। वे बेटे की सफलता का श्रेय भी नहीं लेते हैं।  वे कहते हैं कि उनके बेटे ने जो भी हासिल किया है वह बेटे की मेहनत और अच्छे कामों का परिणाम है।

एल. लोगननाथन और एल. वारदम्मल का गाँव में घर भी बहुत साधारण है, जहाँ  वे अपने छोटे बेटे, उसकी पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं। बेटे के मंत्री बन जाने के बाद भी वे गाँव में पहले की तरह सामान्य जीवन ही जीते हैं, कभी-कभार बेटे एल. मुरुगन के पास रहने के लिए चेन्नई चले जाते हैं, लेकिन वह वहाँ 3-4 दिन से ज़्यादा नहीं रूक पाते। उनका कहना है कि शहर की भीड़भाड़ और व्यस्त ज़िन्दगी में उनका मन नहीं लगता है, इसलिए वह कोनुर में ही रहते हैं।

एल. लोगननाथन और एल. वारदम्मल का सादगी भरा जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है, जो हमें सिखाता है कि सफलता मिलने के बाद भी बिना अभिमान किए अपनी मिट्टी से जुड़े रहना चाहिए।

“यह खबर विभिन्न मीडिया स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर लिखी गई है। खबर में उपयोग किए गए फोटोज भी विभिन्न न्यूज आर्टिकल्स से लिए गए हैं।”

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