शेयर बाजार में एक नाम हमेशा लोगों का ध्यान आकर्षित करता है वह है आईपीओ। आप भले निवेश करते या नहीं करते, लेकिन आईपीओ के बारे में आपने जरूर सुना होगा और आपके मन में ख्याल भी आया होगा कि आखिर ये आईपीओ होता क्या है? आईपीओ के क्या फायदे है? या फिर आईपीओ कैसे खरीदे? आदि। ऐसे में इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इनके साथ ही आईपीओ के प्रकार, कम्पनी IPO क्यों लाती है? जैसे सवालों के जवाब देने का भी प्रयास करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं।
आईपीओ क्या होता है?
सामान्य शब्दों में समझें तो जब किसी प्राइवेट कम्पनी को पैसों की जरूरत होती है तो वह कम्पनी में निवेश बढ़ाने के लिए पैसे जुटाने का प्रबंध करती है। इसी के तहत कम्पनी खुद को शेयर मार्केट में लिस्ट करके कम्पनी में निवेश करवाती है। इसमें आमजन भी निवेश कर सकते हैं या फिर कहे कि पैसे लगा सकते है और IPO की वैल्यू बढ़ने पर लाभ कमा सकते हैं।
आईपीओ का पूरा नाम Initial Public Offering (IPO) होता है। जिससे भी साफ अर्थ समझा जा सकता है कि IPO के तहत कम्पनी द्वारा लोगों को प्रारंभिक तौर पर निवेश के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसके कम्पनी आम लोगों, निवेशकों और अन्य को कंपनी के शेयर अलॉट करती है, जो एक सीमित मात्रा में होते हैं और लॉटरी के माध्यम से अलॉट होते हैं।
अगर हम वर्ष 2021 की बात करें तो अब तक 40 से ज्यादा कम्पनीज के IPO लॉंच हो चुके हैं। इसके तहत कम्पनी खुद को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लिस्ट करवाती है। हालांकि इसके लिए कंपनी के पास न्यूनतम 10 करोड़ रुपए चुकता पूंजी होनी चाहिए।
आईपीओ कितने प्रकार का होता है?
आईपीओ को दो भागों में बांटा जाता है, जो कि उनकी कीमतों के निर्धारण के आधार पर होता है।
1. फिक्स प्राईस इश्यू या फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE ISSUE OR FIX PRICE IPO)
2. बुक बिल्डिंग इश्यू या बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO)
फिक्स प्राईस इश्यू या फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE ISSUE OR FIX PRICE IPO)
इसके तहत कम्पनी द्वारा निर्धारित फिक्स प्राइस पर ही IPO को सब्सक्राइब किया जा सकता है या फिर आईपीओ लेने के लिए रिक्वेस्ट डाली जा सकती है। इसमें अगर प्राइस कम हो तो उसे फ्लोर प्राईस (FLOOR PRICE) कहा जाता है।
बुक बिल्डिंग इश्यू या बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO)
इसके तहत कम्पनी द्वारा प्राईस बैंड (PRICE BAND) डिसाइड किया जाता है। आईपीओ की प्राईस बैंड डिसाइड हो जाने के बाद इसे जारी किया जाता है। इसके बाद कम्पनी द्वारा डिसाइड किए गए प्राईस बैंड में से इनवेस्टर अपनी बिड सब्सक्राइब करते हैं। इसके अगर प्राइस ज्यादा हो तो उसे कैप प्राईस (CAP PRICE) कहा जाता है।
आईपीओ में इनवेस्ट कैसे किया जाता है?
अब बात करते हैं आईपीओ में इनवेस्टमेंट की। दरअसल, कोई भी कंपनी, जो आईपीओ जारी करने वाली होती है, अपने IPO को इनवेस्टर्स के लिए 3-10 दिनों के लिए ओपन करती है। यानी कि यदि आपको किसी कम्पनी का IPO लेना है तो आपके पास 3 से 10 दिनों के बीच का समय होता है। यह अवधि कम ज्यादा भी हो सकती है। कुछ कम्पनीज तो दिन दिन का ही समय देती है।
अब सवाल यह है कि आईपीओ में इनवेस्ट कैसे करें? या फिर आईपीओ कैसे खरीदें? तो आप इन दिनों के भीतर कम्पनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर या किसी रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के जरिए आईपीओ में इनवेस्ट कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए आपके पास एक डीमेट अकाउंट होना जरूरी होता है। यहां पर यह भी देखना होता है कि IPO फिक्स प्राईस इश्यू है या फिर बुक बिल्डिंग इश्यू। जिस तरह का IPO होता है, आपको उसी में इनवेस्ट करना होता है। यह प्रारंभिक मार्केट भी कहलाता है।
IPO कैसे अलॉट होता है?
यह प्रक्रिया आईपीओ ओपनिंग क्लोज होने के बाद की होती है, इसके तहत कम्पनी अपने इनवेस्टर्स को IPO अलॉट करती है। यह प्रक्रिया इस तरह काम करती है कि जब कोई आईपीओ बहुत अधिक ओवरसब्सक्राइब हो जाता है यानी कि ज्यादा आवेदन आ जाते हैं तो लकी ड्रॉ के जरिए अलॉटमेंट होता है। यह एक कंप्यूटरीकृत व्यवस्था होती है, इसमें पक्षपात की संभावना नहीं रहती है।
आप जितने ज्यादा आवेदन डालेंगे या बीड सब्सक्राइब करेंगे, आपके अलॉटमेंट के चांस उतने ही बढ़ जाएंगे। इसके बाद जब अलॉट हुए शेयर, स्टॉक एक्सचेंज (STOCK MARKET) में लिस्ट हो जाते हैं, तब यह सेकेंड्री मार्केट में खरीदे और बेचे जाते हैं।
IPO कैसे फायदेमंद है?
सामान्य शब्दों में कहे तो यह जल्दी मुनाफा प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है। जिस प्रकार हम किसी कम्पनी में निवेश करते हैं तो उसे डबल होने या अच्छा मुनाफा मिलने जैसा होने में काफी लम्बा समय लग जाता है। लेकिन IPO में ऐसा नहीं है, इसके आपको स्लॉट मिलने के दो तीन बाद ही अच्छा खासा मुनाफा मिल सकता है। जैसे जैसे आपके शेयर की वैल्यू बढ़ती है आपको अधिक मुनाफा मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती है। हालांकि यह जोखिम भरा भी रहता है, जरूरी नहीं कि आपका शेयर फायदे में ही जाए, कई बार ऐसा भी संभव है कि जिस राशि में आपने शेयर खरीदा होता है, उससे आपको कई राशि भी मिल सकती है।
ऐसे में जरूरी है कि आप किसी भी कम्पनी का शेयर लेने से पूर्व उसके लाभ हानि की अच्छे से पड़ताल कर लें, फिर ही IPO का निर्णय लें।