Case Study

क्या है सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी और कब होगा इसके निवेशकों के पैसो का भुगतान?

sahara credit Cooperative Society Limited in Hindi

सहारा ग्रुप एक ऐसा नाम जो कुछ समय पहले तक सभी की जुबां पर था। भारतीय क्रिकेट रियल स्टेट से लेकर क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी तक फैले साम्राज्य वाला ग्रुप आज विवादों से घिरा हुआ है। ग्रुप के मालिक सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा सजा तक काट चुके हैं। सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी में निवेश करने वाले लाखों जमाकर्ता उनकी जमाराशि रिफंड होने का इंतजार कर रहे हैं। इस सब के बीच यह जानना भी जरूरी है कि आखिर सहारा के घोटाले की कहानी शुरू कहा से होती है? और सहारा के निवेशकों को उनका पैसा वापस कब मिलेगा? सवाल बहुत है जवाब किसी के पास कुछ भी नहीं। बहरहाल, पढ़िए यह खबर।

सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी क्या हैं एवं इसकी शुरुआत कैसे हुई?

सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड वर्ष 2010 में कृषि मंत्रालय के तहत सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत एक सोसायटी है जो सहारा ग्रुप के द्वारा संचालित की जाती रही है। यह एक समय देश की बड़ी कॉओपरेटिव सोसाइटी में से एक हुआ करती थी। सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी की पहुंच देश के 22 राज्यों तक रही है। जिसके देशभर में 125 से प्रशासनिक कार्यालय और 4700 से अधिक अधिकृत केंद्र थे।

इसकी शुरुआत वर्ष 2010 में की गई थी, इस दौरान सोसाइटी के द्वारा कहा गया था कि वह लोगों में बचत की आदत डालना चाहती है। साथ ही उन स्थानों पर बैंकिंग सेवाएं पहुंचाना चाहती है जहां के लोग बैंकिंग से दूर है। इसके बाद सहारा ग्रुप ने तीन अन्य हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायण यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड भी खोलकर लोगों से निवेश करवाया।

सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी कैसे काम करती थी?

सहारा क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसायटी सहित अन्य सोसाइटीज की ओर से देशभर में अपने एजेंट्स रख जाते थे, जो सहारा इंडिया परिवार के तहत कार्य कर घर घर जाकर उनके स्कीम के नाम पर पैसे जमा करते थे और बदले में मियाद पूरी होने के बाद ब्याज सहित रकम को वापस लौटाने का वादा किया जाता था।

आमजन को स्कीम से जोड़ने के लिए इन सोसाइटीज ने ऐसी स्कीम रखी थी जिसमें गरीब लोग भी अपनी बचत जमा करा सकते थे जैसे प्रतिदिन 10 रुपए जमा कराने आदि। स्कीम में दुकानदारों, ठेले वालों, गृहणियों आदि को टारगेट किया जाता था और ऐसे में देशभर में सोसाइटीज ने अपने कई कस्टमर्स तैयार कर दिए। लेकिन मियाद पूरी होने के बावजूद भी जमा की हुई रकम नहीं चुका पाने के चलते यह सोसाइटीज विवादों में गिरती चली गई और एक महाघोटाला निकलकर सामने आया था। इसी तरह का एक घोटाला आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी का भी सुर्खियों में रहा है जिसमें भी सोसाइटी द्वारा लोगों को अधिक ब्याज और बचत का लालच देकर उनसे निवेश करवाया जाता था। लेकिन उनका पैसा भी आज तक वापस नहीं हो सका है।

सहारा क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसायटी घोटाला (स्कैम) क्या हैं?

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द वायर की एक खबर के अनुसार सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी ने लगभग 4 करोड़ निवेशकों से 47, 254 करोड़ रुपए जमा किए और इसी रकम से एंबी वैली लिमिटेड में 28,170 करोड़ रुपए का निवेश कर दिया।

ग्रुप की दूसरी सोसाइटी सहारायण यूनिवर्सल ने अपने 3.71 करोड़ सदस्यों से लगभग 18,000 करोड़ रुपए एकत्र कर 17,945 करोड़ रुपए का ​निवेश कर दिया। साथ ही तीसरी सोसाइटी हमारा इंडिया में 1.8 करोड़ सदस्यों के 12,958 करोड़ रुपए जमा किए। वहीं, स्टार्स मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सोसाइटी ने 37 लाख सदस्यों से 8,470 करोड़ रुपए एकत्र कर एंबी वैली में 6273 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया।

ऐसे में ग्रुप की चारोंं सोसाइटीज ने चार करोड़ जमाकर्ताओं से 86,673 करोड़ रुपए प्राप्त किए। द वायर ने नियामकों के हवाले से लिखा कि ग्रुप के द्वारा जमाकर्ताओं से प्राप्त राशि में से 62,643 करोड़ रुपए महाराष्ट्र के लोनावाला में एंबी वैली प्रोजेक्ट में निवेश किए गए। हालांकि इस प्रोजेक्ट को 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने जब्त कर दिया था और निवेशकों को पैसे लौटाने की बात कही गई थी लेकि 2019 में प्रोजेक्ट को रिलीज कर दिया गया। जनसत्ता की सितम्बर 2020 में पब्लिश एक खबर के अनुसार सरकार ने इन समितियों में गड़बड़ी पाई थी।

इधर, न्यूजट्रेक की एक खबर के मुताबिक सेबी (SEBI) को सहारा ग्रुप द्वारा गलत तरीके से पैसे उठाने की खबर मिली थी। यह दो कम्पनीज SIRECL और SHICL थीं। इन कंपनीज ने 2.25 करोड़ निवेशकों से करीब 24 हजार करोड़ रुपए उठाकर कहां पर निवेश किए इसका कोई रिकॉर्ड ग्रुप के पास नहीं था। इसके बाद जब सेबी के द्वारा अनियतिता पाई गई तो सेबी ने दोनों कंपनियों को बैन कर दिया और निवेशकों का जमाधन 15 फीसदी रिटर्न के साथ वापस देने को कहा।

खबर के अनुसार जब इस मामले की जांच की गई तो निवेशकों की जानकारी भी नहीं मिली। यह इसका यह मतलब निकाला गया कि फर्जी निवेशकों के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई थी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने दोनों कम्पनीज को दोषी ठहराया एवं सहारा ग्रुप से निवेशकों के पैसे सेबी में जमा करने को कहा। लेकिन एक किस्त के बाद सहारा द्वारा बाकी की दो किस्त नहीं जमा करवाई गई। इसके बाद वर्ष 2014 में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया, हालांकि वे अभी जमानत पर जेल से बाहर हैं।

सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी का भविष्य क्या है?

यह एक बड़ा सवाल है। विभिन्न न्यूज आर्टिकल्स की मानें तो सहारा क्रेडिट सहित अन्य तीन कोऑपरेटिव सोसायटी में गड़बड़िया मिलने के बाद सरकार द्वारा इन पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा सहारा ग्रुप और सेबी के बीच विवाद भी चल रहा है। सहारा का कहना है कि सेबी ने उनके 25 हजार करोड़ रुपए जब्त कर रखे हैं और लोगों को नहीं दिए जा रहे हैं। ​बहरहाल, न्यूज आर्टिकल्स के अनुसार मामला न्यायालय में है, ऐसे में सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी की वापसी पर कुछ भी कहना मुश्किल होगा। सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी का भविष्य क्या होगा, इस पर निर्णय न्यायालय और केन्द्रीय रजिस्ट्रार लेंगे।

कब होगा सहारा क्रेडिट के निवेशकों के पैसो का भुगतान?

सहारा में अपने खून पसीने की कमाई को जमा करने वाले लोगों को यही सवाल लंबे समय से खाए जा रहा है कि सहारा क्रेडिट का पैसा वापस कब मिलेगा? खबर हम कुछ न्यूज आर्टिकल्स पर नजर डाले तो प्रतीत होता संभवत: सहारा के जमाकर्ताओं को उनका पैसा मिल जाए। न्यूज आर्टिकल्स के अनुसार सहारा के 25 हजार करोड़ रुपए सेबी के पास जमा है, लेकिन कोर्ट द्वारा लेनदेन पर रोक के चलते न तो सेबी उन पैसों को जमाकर्ताओं को लौटा पा रही है और न ही सहारा।

नवभारत टाइम्स की एक खबर के अनुसार सेबी ने पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में सहारा के निवेशकों को 14 करोड़ रुपए रिफंड किए थे। इसमें सेबी को 31 मार्च 2021 तक 19,616 आवेदन मिले थे, जिसमें करीब 81.6 करोड़ रुपए के दावे धन वापसी को लेकर थे। खबर के अनुसार 5 अगस्त 2021 तक सहारा के पास 332 आवेदन सहारा के पास एवं 122 आवेदन सेबी के पास लंबित हैं।

खबर के अनुसार सेबी ने अब तक 16 हजार 909 मामलों का निपटारा कर सहारा के निवेशकों को 129 करोड़ रुपये लौटाए है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2012 के अपने आदेश में सहारा की 2 कंपनियों के लगभग 3 करोड़ निवेशकों को ब्याज सहित रिफंड देने को कहा था।

कानाफूसी की एक खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की लेनदेन पर रोक के बाद से सहारा के पास पैसों की समस्या आ गई और पैसा सेबी के खाते में फंस गया और जमाकर्ताओं को रिफंड नहीं हो सका है।

ऐसे में अगर संभव है कि सहारा क्रेडिट में लोगों की जमा राशि उन्हें वापस मिल जाए। अगर सहारा के दावों पर नजर डाले तो सेबी के पास जमाकर्ताओं का पैसा सेबी के पास अटका पड़ा है जिसके कारण लोगों का भुगतान नहीं हो सका है। खैर, अपने अपने दावे हैं। फिलहाल सहारा क्रेडिट का पैसा कब तक मिलेगा, यह कहना अभी मुश्किल है लेकिन न्यूज आर्टिकल्स के अनुसार मिलने पर संभावनाएं जताई जा सकती है।

उपरोक्त खबर विभिन्न न्यूज आर्टिकल्स के आधार पर लिखी गई है।

सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के बारे में और अधिक जानकारी के लिए देखे ये वीडियो

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