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कहानी चाय बेचकर करोड़पति बने MBA प्रफुल्ल बिल्लोर की

MBA Chai wala

आज के ज्यादातर युवा MBA करके एक सफल करियर बनाने का सपना देखते हैं लेकिन एमबीए में दाखिला नहीं ले पाने वाले एक युवक ने महज आठ से दस हजार रुपये में चाय की दुकान खोली और तीन साल में तीन करोड़ रुपये का कारोबार स्थापित कर लिया।
ये कहानी है मध्य प्रदेश के लाबरवाड़ा गांव के एक किसान के बेटे प्रफुल्ल बिल्लोर की जिसने सफल व्यवसाय का सपना देखा भी और उसे साकार भी किया।

प्रफुल्ल आईआईएम अहमदाबाद एंट्रेंस की तैयारी के लिए अहमदाबाद गए थे। वहां लगातार तीन साल कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) की तैयारी के बावजूद जब वह CAT की परीक्षा पास नहीं कर पाए तो उन्होंने एक चाय की दुकान खोली और उसका नाम ‘एमबीए चायवाला‘ रख दिया। आज एमबीए चायवाला के देशभर में 22 से ज्यादा आउटलेट हैं और अब जल्द ही एक इंटरनेशनल आउटलेट खुलने जा रहा है। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी..

कहाँ से हुई “एमबीए चायवाला” की शुरुआत?

प्रफुल्ल जब कैट की परीक्षा नहीं पास कर पाए , तब उन्होंने अपने पिता से बात की और कहा कि वह अब पढ़ना नहीं चाहते। खुद को एक्स्प्लोर करने के लिए बैंगलोर, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, गुड़गांव और अंत में अहमदाबाद का रुख किया जहां आज “एमबीए चाय वाला” नाम से वे काफी प्रसिद्ध हैं।

शुरूआती समय में प्रफुल्ल ने ₹37 प्रति घंटे के हिसाब से मैकडॉनल्स में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करना शुरू किया, उन्होंने कमाई शुरू की, सीखना शुरू किया, अपने जीवन में नए अनुभव लिए और ऐसे ही नए-नए लोगों से मिलकर अनुभव आगे बढ़े।

प्रफुल्ल के लिए उस समय ये सब अपनी किताबें पढ़ने से कहीं बेहतर अनुभव था, क्योंकि वह हर दिन नए लोगों, नए विचारों, नए अनुभवों से मिल रहे थे। साथ में ये भी जान चुके थे भविष्य केवल यहां काम करके नहीं बनाया जा सकता इसलिए अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का सोचा लेकिन प्रफुल्ल के पास कारोबार शुरू करने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में प्रफुल्ल ने ऐसा बिजनेस करने की सोची जिसमें पूंजी भी कम हो और आसानी से किया जा सके।

यहीं से उनके मन में चाय का कारोबार शुरू करने का विचार आया। काम शुरू करने के लिए प्रफुल्ल ने पिता से झूठ बोला और पढ़ाई के नाम पर 10 हजार रुपये मांगे और इन पैसों से प्रफुल्ल ने एक चाय की दुकान लगानी शुरू की।

आज MBA चायवाला एक ब्रांड बन गया है, देश के 22 बड़े शहरों में इसके आउटलेट हैं और अब यह फ्रेंचाइजी विदेशों में भी खुलने जा रही है। प्रफुल्ल बिल्लोर का कहना है कि उनके परिवार ने उनका बहुत साथ दिया है, उनका मानना ​​है कि अगर आप किसी भी काम के लिए ईमानदारी से काम करते हैं, तो सफलता जरूर मिलती है।

कैसा रहा एमबीए चायवाला का व्यापार में उतार-चढ़ाव ?

प्रफ्फुल शुरुआत से ही अपने काम के लिए बहुत उत्साहित थे। लेकिन जब पहले दिन उनके पास कोई ग्राहक नहीं आया तो अगले दिन सोचा, क्यों न खुद ग्राहकों के पास जाकर चाय की दुकान खोल दी जाए। बस फिर क्या था, दूसरे दिन जितनी भी चाय बेची उससे 150 रूपये की आमदनी हुई।

उसके बाद, सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक वह अपना मैकडॉनल्ड्स का काम कर रहा था, और शाम 7 बजे से रात 11 बजे तक वह अपनी चाय बेच रहा था।व्यवसाय बढ़ रहा था और नौकरी नीचे की ओर आ रही थी इसलिए उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।

एक दिन उनके पिता ने उन्हें फोन किया और डिटेल्स मांगा क्योंकि उन्होंने उनसे 15 हजार रुपये लिए थे। प्रफुल्ल ने फिर अपने पिता से झूठ बोला कि 2 से 3 दिन में फॉर्म आ जाएगा और सब कुछ ठीक हो जाएगा| एक बार फिर पिता से 50 हजार रुपये लिए और सिर्फ अपने पिता के लिए लोकल MBA कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन कुछ ही समय में ये जरूर पता चल गया था कि यहाँ केवल समय बर्बाद हो रहा है। उसने सोचा कि यहां समय बर्बाद करने के बजाय अगर वह अपने बिजनस पर ध्यान केंद्रित करता है तो यह बेहतर होगा।

कॉलेज के 7 वें दिन, वह रनिंग कॉलेज से बाहर चला गया और उसे छोड़कर अपने व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करने लगा। प्रफ्फुल का उद्देश्य था अपने द्वारा चुने गए क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होना।

जब प्रफुल्ल के सफल बिजनेस मॉडल ने सुर्खियां बटोरीं, तो उन्हें आईआईएम अहमदाबाद में छात्रों को संबोधित करने का निमंत्रण मिला। ये वही कॉलेज था जिसमे कभी दाखिला लेने का सपना प्रफ्फुल ने देखा था। अपने व्याख्यान में कॉमर्स ग्रेजुएट, प्रफुल्ल ने बताया कि मैं काम और पढ़ाई में संतुलन बना पाया क्योंकि एक औसत छात्र के पास कड़ी मेहनत से सफल होने के लिए काफी समय होता है।

प्रफ्फुल का मानना है कि सभी चीजें ठीक चल रही हैं लेकिन हर स्टार्ट-अप में, एक समय आता है जब आपके धैर्य, आपके जुनून, आपके समर्पण और आपकी इच्छा शक्ति का परीक्षण किया जाता है।

किसी भी काम में खुद पर भरोसा कितना जरुरी है?

प्रफुल्ल की सफलता ने उन लोगों को करारा जवाब दिया जो उनका मजाक उड़ाते थे, प्रफुल्ल ने बताया कि अब लोग मुझसे सलाह मांगते हैं। मैं उनसे कहता हूं, डिग्री मायने नहीं रखती। मैं वहां वही करता हूं जो मुझे पसंद है। आपको बता दें कि प्रफुल्ल ने एमबीए छोड़कर चाय की दुकान की थी। चाय का कारोबार शुरू करने के 4 साल के भीतर उन्होंने 3 करोड़ रुपये कमाए और पूरे देश में ख्याति अर्जित की। प्रफुल्ल बिल्लोर की दुकान एमबीए चायवाला आज युवाओं के बीच एक लोकप्रिय ब्रांड बन गया है।

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