Youth & Politics

बाइक बेचकर लड़ा था पहला चुनाव, जानिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जीवनी

अशोक गहलोत

भारतीय राजनीति में अशोक गहलोत का नाम आज बड़े नेताओं में लिया जाता है। राजस्थान के तीन बार के मुख्यमंत्री Ashok Gehlot कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है। 71 साल के अशोक गहलोत का राजनैतिक सफर राजनीति में अपना भविष्य देखने वाले युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है, क्योंकि अशोक गहलोत ने भी राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से ही की थी। जादूगर पिता की संतान Ashok Gehlot बचपन में जादू दिखाया करते थे और आज देश की राजनीति में बड़ा नाम है। आइए, इस आर्टिकल में हम Ashok Gehlot के बारे में जानते हैं।

अशोक गहलोत का जीवन परिचय

अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ। उनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह और माता का नाम सेवा देवी गहलोत है। Ashok Gehlot के पिता माने हुए जादूगर थे जो देश में घूम घूम कर जादू दिखाया करते थे। Ashok Gehlot भी उनके साथ जाते थे और वे भी जादू दिखाने का काम करते थे। इसीलिए अशोक गहलोत को अब राजनीति का जादूगर भी कहा जाता है।

अशोक गहलोत ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर से विज्ञान और कानून में यूजी और अर्थशास्त्र विषय में पीजी किया है। जहां Ashok Gehlot ने सचिव के पद पर चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए। अशोक गहलोत का विवाह 27 नवम्बर, 1977 को सुनीता गहलोत के साथ हुआ। Ashok Gehlot के दो संतान हैं। जिसमें बेटे का नाम वैभव गहलोत और बेटी का नाम सोनिया गहलोत हैं। बेटा वैभव भी राजनीति में सक्रिय है। उन्होंने जोधपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए। वर्तमान में वैभव गहलोत राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।

अशोक गहलोत राजनीति में कब आए?

अशोक गहलोत विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा के कार्यों में सक्रिय रहे। काॅलेज की दिनों में उन्होंने एनएसयूआई जाॅइन की और विद्यार्थी हित को लेकर काम किया। इन्हीं दिनों में वे एनएसयूआई से भी जुड़े। Ashok Gehlot 1973 से 1979 तक राजस्थान एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे। इसके बाद वे 1979 से 1982 तक जोधपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने। उनका सफर यही नहीं रूका। गहलोत 1982 में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (इन्दिरा) के महासचिव बने। इसके बाद तीन बार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए।

वे पहली बार साल 1985 से जून, 1989 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। इसके बाद दूसरी बार 1 दिसम्बर, 1994 से जून, 1997 तक और तीसरी बार जून, 1997 से 14 अप्रैल 1999 अशोक गहलोत राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर रहे। गहलोत पहली बार मात्र 34 वर्ष की आयु में ही राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गए थे। Ashok Gehlot ने 2004 के बाद से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में आमंत्रित सदस्य और महासचिव के रूप में भी काय किया है। उन्होंने चुनाव में गुजरात प्रभारी के रूप में भी संगठन को सेवाएं दी है।

कैसे बदली Ashok Gehlot की किस्मत?

एनएसयूआई में रहते हुए Ashok Gehlot ने वर्ष 1971 में बांग्लादेश युद्ध के दौरान पश्चिम बंगाल के जिलों में शरणार्थी शिविरों में भी काम किया है। इसी दौरान उनकी मुलाकात पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी से हुई। इन्दिरा जी ने Ashok Gehlot के कौशल को पहचाना और एनएसयूआई का स्टेट प्रेसीडेंट बनाया। यहीं से अशोक गहलोत का राजनैतिक सफर आगे बढ़ चला।

अशोक गहलोत ने पहली बार चुनाव कब लड़ा?

अशोक गहलोत ने पहली बार चुनाव सरदारपुरा सीट से 26 वर्ष की आयु में लड़ा था। कहा जाता है Ashok Gehlot ने चुनाव लड़ने के लिए अपनी बाइक को 4 हजार रुपए में बेच दिया था। लेकिन इस चुनाव में वे 4329 वोटों के अंतर से हार गए। इसके बाद संजय गांधी से अच्छी दोस्ती होने के कारण 1980 में संजय गांधी ने उन्हें जोधपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया। इस बार Ashok Gehlot रिकाॅर्ड 52 हजार 519 वोटों से जीत गए। इस बार भी उनके पास आर्थिक धन का अभाव था। ऐसे में अपने दोस्त की सैलून की दुकान में ऑफिस खोला और दोस्त की बाइक से ही प्रचार करने जाया करते थे।

जोधपुर से पांच बार सांसद रहे Ashok Gehlot

अशोक गहलोत ने 1980 में 7वीं लोकसभा में जोधपुर सीट से चुनाव लड़ा था और वे जोधपुर से सांसद बने। इसके बाद Ashok Gehlot जोधपुर से चार और बार 1984, 1991, 1996 और 1998 जोधपुर लोकसभा सीट से जीतकर जोधपुर से प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद अशोक गहलोत 1999 में 11 वीं विधानसभा के लिए जोधपुर जिले के ही सरदारपुरा से विधायक का चुनाव लड़े और सरदारपुरा से विधायक बने। इसके बाद Ashok Gehlot इसी विधानसभा से लगातार 4 बार और विधायक बने। और चौथी बार यानी 15वीं विधानसभा में 1998 में पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। इससे पहले Ashok Gehlot जून, 1989 से नवम्बर, 1989 तक कुछ माह के लिए राजस्थान सरकार में गृह और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री रहे।

अशोक गहलोत केन्द्रीय मंत्री कब बने?

अशोक गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी और पी.वी.नरसिम्हा राव के मंत्रिमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया है। Ashok Gehlot तीन बार केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। वे सबसे पहले इन्दिरा गांधी के समय 2 सितम्बर, 1982 से 7 फरवरी 1984 तक देश के पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री, और इसके बाद खेल उपमंत्री बनें। इसके बाद Ashok Gehlot को केन्द्रीय राज्य मंत्री बनाया गया। Ashok Gehlot 31 दिसम्बर, 1984 से 26 सितम्बर, 1985 तक केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री और इसके बाद केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री भी रहे।

तीन बार कैसे बने राजस्थान के मुख्यमंत्री Ashok Gehlot?

अशोक गहलोत सबसे पहले 01 दिसम्बर 1998 से 08 दिसम्बर 2013 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान प्रदेश में भयंकर अकाल पड़ा, जिसमें मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने बेहतरीन काम किया। इसी दौरान अशोक गहलोत ने ’पानी बचाओ, बिजली बचाओ और सबको पढ़ाओ’ का नारा दिया था। इसके बाद अशोक गहलोत 13 दिसम्बर, 2008 को राजस्थान के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। और इसके बाद 2018 में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान में बहुमत हासिल किया और 71 वर्षीय Ashok Gehlot राज्य के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राजनैतिक जीवन उन युवाओं के लिए प्रेरणादायी है जो राजनीति में अपना भविष्य देखते हैं। छात्र राजनीति से निकलकर आने वाले Ashok Gehlot आज देश के बड़े नेताओं में शुमार हैं।

You may also like

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *