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पढ़िए 6 हज़ार से ज्यादा विद्यार्थियों को निशुल्क कोचिंग कराने वाले शिक्षक की कहानी!

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क्लास रूम में विद्यार्थियों के साथ संजय लुणावत।

कोचिंग सेंटर का नाम तो आपने कई बार सुना होगा और उसके साथ यह भी सुना होगा कि इस कोर्स के लिए आपको इतनी फीस देनी पड़ेगी वगरैह वगैरह। अगर आप फीस नहीं भर सकते हैं तो आप को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

यहां तक कि हम कई बार यह भी सुनते हैं कि कई निजी स्कूलों और कोचिंग संस्थानों में फीस नहीं देने से रिजल्ट तक रोक दिए जाते हैं या परीक्षाएं भी नहीं देनी दी जाती है। ऐसे में अगर कोई विद्यार्थियों को निशुल्क कोचिंग देता है और उसका परिणाम भी दूसरे निजी कोचिंग संस्थाओं से बेहतर हो तो फिर क्या कहना। आज देश में कईं जगहों पर ऐसे निशुल्क कोचिंग सेंटर्स चल रहे हैंए जहां पर जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क में कोचिंग दी जाती है ताकि वे प्रतिभाएं सरकारी नौकरियों में जा सके एवं अपना भविष्य बेहतर बना सके।

ऐसा ही एक कोचिंग सेंटर राजस्थान के उदयपुर शहर में माय मिशन के नाम से चलता है। यह सेंटर चलाते हैं युवा शिक्षक संजय लुणावत। संजय एक सरकारी विद्यालय में प्रिंसिपल है जो गुरु की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। संजय के बनाए माय मिशन कोचिंग सेंटर पर प्रतिदिन दो सौ से ज्यादा बच्चे निशुल्क कोचिंग के लिए आते हैं और अब तक 5 सालों में वे करीब 6 हज़ार से ज्यादा बच्चों को सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क कोचिंग करा चुके हैं।

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सेंटर पर विद्यार्थियों को पढ़ाते संजय लुणावत।

संजय के माय मिशन कोचिंग सेंटर की शुरुआत 2014-15 के आसपास होती है, जब उनका चयन एक शिक्षक के रूप में सरकारी नौकरी में हो जाता है। नौकरी में चयनित होने के बाद संजय 15- 20 बच्चों के साथ उदयपुर के सवीना क्षेत्र में किराए के मकान में अपना पहला सेंटर शुरू करते हैं जहां पर वह निशुल्क कोचिंग देते हैं। उनके सेंटर्स पर उन प्रतिभाओं का चयन किया जाता है जो वाकई जरूरतमंद है और पढ़ाई को लेकर गंभीर भी है।

संजय बताते हैं कि उनको यह प्रेरणा उनके पिता से मिली। उनके पिता ने नेत्रदान किया था। उनके पिता का मानना था कि हमेशा दान करना चाहिए।

संजय का स्वयं का बचपन भी ऐसी परिस्थितियों में गुजरा था कि उनको उस स्तर की बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पाती थी जितनी उनके साथ पढ़ने वाले बच्चों को मिलती थी । इसके बावजूद भी संजय ने हार नहीं मानी और अपनी प्रतिभा के दम पर एक शिक्षक के रूप में सरकारी नौकरी हासिल की। संजय तीन बार राजस्थान सिविल सेवा परीक्षा भी पास कर चुके हैं लेकिन अच्छी पोस्टिंग नहीं मिलने के कारण उन्होंने नौकरी ज्वाइन नहीं की और एक शिक्षक के रूप में आगे बढ़ने का फैसला किया।

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क्लास रूम में विद्यार्थियों के साथ संजय लुणावत।

संजय का मानना है कि जिन परिस्थितियों से उन्हें गुजरना पड़ा। उन परिस्थितियों को भारत का आने वाला भविष्य नहीं झेले और उन्होंने इसी उद्देश्य से माय मिशन कोचिंग सेंटर की शुरुआत की, जहां पर वे बच्चों को निशुल्क कोचिंग देने लगे।

संजय के कोचिंग सेंटर को शुरू किए अब तक लगभग 6 साल हो गए हैं, इस दौरान वे करीब 6 हज़ार से ज्यादा बच्चों को निशुल्क कोचिंग करा चुके हैं। उनके सेंटर पर कोचिंग करके कईं विद्यार्थी सरकारी नौकरियों में भी लग चुके हैं एवं अब वे पूर्व विद्यार्थी भी माय मिशन कोचिंग सेंटर पर निशुल्क पढ़ाते आते हैं ताकि दूसरी प्रतिभाओं को भी आगे बढ़ने का मौका मिल सके।

आज संजय जैसे शिक्षकों के कारण हजारों बच्चे निशुल्क कोचिंग कर रहे हैं। यह वह बच्चे हैं जिनके घरों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन उनको संजय जैसे शिक्षक एक मौका दे रहे हैं, जहां से वे अपनी प्रतिभा के बल पर अच्छी नौकरी हासिल कर सकते हैं।

संजय के इस प्रयास और उनके इस नेक काम को यूथ4चेंज सलाम करती है और उम्मीद करती है कि संजय इस काम को आगे भी करते रहेंगे। संजय से प्रेरणा लेकर अन्य शिक्षक भी इस कार्य की ओर अग्रसर होंगे। संजय जैसे युवा शिक्षक हमारे देश के लिए गौरव की बात है।

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