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RTI Act क्या है? RTI से जानकारी कैसे हासिल करें? 

Right To Information Act 2005 : आज के दौर में, जब पारदर्शिता और जवाबदेही की बात होती है, तो सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (Right to Information Act 2005) का उल्लेख बहुत ही शक्तिशाली हथियार के रूप में होता है। यह हर भारतीय नागरिक को सरकार से कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए बाध्य करता है। इतना ही नहीं, यह नागरिक को सरकार से जवाब हासिल करने का भी अधिकार देता है। इस आर्टिकल में हम निम्नलिखित विषयों पर विस्तार से बात करेंगे।
RTI Act, सूचना का अधिकार, RTI से जानकारी कैसे पाएं, RTI अधिनियम 2005, RTI Act 2005 in Hindi, RTI का मतलब, सूचना का अधिकार अधिनियम की धाराएं, RTI के नए नियम, RTI आवेदन, सूचना का अधिकार मूल अधिकार है, Section 8(1)(j) of RTI Act 2005 आदि।

RTI Act क्या है? RTI का मतलब क्या है? (What is RTI Act?)

RTI का पूरा नाम Right to Information है, यानी सूचना का अधिकार। यह एक ऐसा कानून है जो भारत के सभी नागरिकों को सरकारी अधिकारियों या सरकारी संस्थाओं से जानकारी मांगने का अधिकार देता है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी कामों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है ताकि भ्रष्टाचार कम हो सके एवं सरकार कामों में तेजी लाई जा सके।

आरटीआई एक्ट से आप क्या समझते हैं?

आरटीआई एक्ट का मतलब है सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 जोकि 12 अक्टूबर, 2005 को लागू हुआ था। इस कानून के तहत, हर नागरिक को सरकार से किसी भी तरह की जानकारी मांगने का अधिकार है। लेकिन वह जानकारी राष्ट्र की सुरक्षा, संप्रभुता या किसी व्यक्ति की गोपनीयता के लिए खतरा न हो, मांगी जा सकती है। इस कानून का उद्देश्य एक ऐसा कानूनी ढांचा तैयार करना है जिससे नागरिकों और सरकार के बीच सूचना का सही आदान-प्रदान हो सके।

RTI में कितनी धाराएं हैं? (How many sections are there in RTI Act?)

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में कुल 31 धाराएं हैं। इन धाराओं में अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है। जिसमें प्रमुख रूप से सूचना का अधिकार क्या है? सूचना का अधिकार में जानकारी कौन दे सकता है? सूचना का अधिकारा आवेदन प्रक्रिया क्या है? और किन परिस्थितियों में जानकारी देने से मना किया जा सकता है आदि का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

आरटीआई अधिनियम 2005 के तहत कौन जानकारी मांग सकता है? (Who can ask for information under RTI Act 2005?)

भारत का कोई भी नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या लिंग का हो, RTI अधिनियम 2005 के तहत सरकार से जानकारी मांग सकता है। इस अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, और सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थाओं से जानकारी मांगी जा सकती है। लेकिन यह जानकारी राष्ट्र की सुरक्षा, संप्रभुता या किसी व्यक्ति की गोपनीयता के लिए खतरा न होनी चाहिए। साथ ही, यहां पर एक बात का और ध्यान रखना होगा कि इस अधिनियम के तहत जानकारी मांगी जा सकती है, सवाल नहीं पूछा जा सकता।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धाराएं

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की सभी धाराएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कुछ धाराएं खास तौर पर आवेदन प्रक्रिया और अधिकारों के बारे में बताती हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
  1. धारा 2(f): इसमें यह दर्शाया गया है कि ‘सूचना’ का क्या मतलब है। इसमें रिकॉर्ड्स, दस्तावेज़, मेमो, ईमेल, प्रेस रिलीज़, नमूने, और इलेक्ट्रॉनिक डेटा को शामिल किया जाता है।
  2. धारा 6: यह धारा RTI आवेदन करने की प्रक्रिया के बारे में बताती है। इसके अनुसार, आप हिंदी, अंग्रेजी या अपनी स्थानीय भाषा में भी आवेदन कर सूचना मांग सकते हैं।
  3. धारा 7: इस धारा में आवेदन का जवाब देने की समय सीमा बताई गई है। सामान्यतः, आवेदन करने के 30 दिनों के भीतर जानकारी देना अनिवार्य होता है।
  4. धारा 8: इसके अन्तर्गत उन विषयों के बारे में बताया जाता है, जिसकी जानकारी देने से मना किया जा सकता है। यह धारा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बताती है कि किन जानकारियों को ‘गोपनीय’ माना जाएगा।

धारा 8(1)(j) of RTI Act 2005 in Hindi (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (1) (j) क्या है?)

यह आरटीआई अधिनियम 2005 की सबसे महत्वपूर्ण धाराओं में से एक है। धारा 8(1)(j) के अनुसार, ऐसी जानकारी देने से मना किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करती हो।  यह धारा बताती है कि ऐसी व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी जाएगी जिसका सार्वजनिक हित से कोई लेना-देना न हो और जिससे उस व्यक्ति की निजता पर अनुचित प्रभाव पड़ता हो। हालांकि, इसमें प्रावधान है कि अगर कोई जानकारी संसद या किसी राज्य विधानमंडल को दी जा सकती है, तो उसे किसी व्यक्ति को भी देने से मना नहीं किया जाएगा।
इस धारा का दरुपयोग यह है कि यह अक्सर सरकारी अधिकारियों द्वारा आवेदनों को खारिज करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसलिए, आवेदन करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप जो जानकारी मांग रहे हैं, वह किसी की व्यक्तिगत निजता का उल्लंघन न करती हो।

सूचना का अधिकार मूल अधिकार है? (Is RTI a fundamental right?)

हाँ, सूचना का अधिकार को भारत के नागरिकों का मूल अधिकार कहा जा सकता है। हालांकि, यह सीधे तौर पर संविधान के मूल अधिकारों में शामिल नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में यह स्पष्ट किया है कि सूचना का अधिकार, अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का एक हिस्सा है। इसका मतलब है कि अगर हमें सही जानकारी नहीं होगी, तो हम अपनी राय ठीक से व्यक्त नहीं कर पाएंगे और एक सूचित जीवन नहीं जी पाएंगे।

सूचना का अधिकार अधिनियम के उद्देश्य (Objectives of RTI Act)

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
  1. सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना।
  2. सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय करना।
  3. सरकारी कामकाज, हिसाब की जानकारी से भ्रष्टाचार को रोकना।
  4. लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी को बढ़ाना।

RTI से जानकारी कैसे हासिल करें? (How to get information through RTI?)

आरटीआई से जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत आसान है। कुछ विभागों में ऑनलाइन आवेदन की भी व्यवस्था, जिसे भरकर आप जानकारी हासिल कर कसते हैं। आप पत्राचार या ऑफलाइन माध्यम से निम्नलिखित प्रक्रिया को अपनाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
1.  आवेदन लिखना :
सबसे पहले आप सादे कागज पर हिंदी, अंग्रेजी या स्थानीय भाषा में अपना आवेदन लिखें। कई विभागों में फॉर्म भी उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा इन्टरनेट से भी आप प्रारूप को डाउनलोड कर सकते हैं। या फिर, सादे कागज पर पत्र वाली भाषा में आवेदन लिख सकते हैं।
2.  सही विभाग को भरे :
आरटीआई डालते समय उस सरकारी विभाग या सार्वजनिक प्राधिकरण का नाम जरूर लिखें जिससे आपको जानकारी चाहिए। यहां य​ह समझना जरूरी है कि जिस विभाग से जानकारी चाह रहे हैं, उसी का उल्लेख हो। अन्यथा, आपको जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाएगी।
3.  चाही गई जानकारी का विषय लिखें :
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आरटीआई के तहत आप जो जानकारी प्राप्त करना चाह रहे हैं, उसकी भाषा जानकारी मांगने वाली हो न कि सवाल पूछा गया हो। आप सवाल, राय या सलाह नहीं पूछ सकते हैं, सिर्फ जानकारी मांग सकते हैं।
4.  आवेदन शुल्क :
आपको आरटीआई आवेदन के साथ 10 रुपए शुल्क जमा कराना होगा। यह नकद, डिमांड ड्राफ्ट, या पोस्टल ऑर्डर के रूप में करवाया जा सकता है। गरीबी रेखा से नीचे यानी BPL के आवेदकों के लिए यह शुल्क माफ है।
5.  आवेदन जमा करें :
अपना आरटीआई आवेदन संबंधित विभाग के जन सूचना अधिकारी को भेजें या उनके समक्ष प्रस्तुत करें। आप इसे डाक से या व्यक्तिगत रूप से भी जमा कर सकते हैं। यहां इस बात का भी ध्यान रखें कि कई विभागों के प्रमुख ही जन सूचना अधिकारी कहे जाते हैं।
6.  जवाब का इंतजार :
आरटीआई आवेदन के बाद सूचना अधिकारी को 30 दिनों के भीतर जवाब देना होता है। यदि जानकारी जीवन और स्वतंत्रता से संबंधित है, तो 48 घंटों में जवाब देना अनिवार्य है। यदि आपको 30 दिनों में जवाब नहीं मिलता या आप दिए गए जवाब से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप पहले अपीलीय अधिकारी और फिर सूचना आयोग में अपील कर सकते हैं।
सूचना का अधिकार स्वयंसेवकों, जिम्मेदार नागरिकों व स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए किसी हथियार से कम नहीं है। इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आती है, कार्यों को गति मिलती है एवं भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगता है। अगर आप भी किसी सरकारी काम से जुड़ी किसी प्रकार की सूचना प्राप्त करना चाहते हैं तो संबंधित विभाग में आवेदन कर सकते हैं।

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