
आजकल, बिजली के बढ़ते बिल के साथ ही पर्यावरण को लेकर बढ़ती चिंताओं ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में, आजकल सौर ऊर्जा बेहतरीन और सस्ता विकल्प बनकर उभरा है। बिजली बिल का खर्च कम करने के लिए अपने घर या दुकान पर सोलर सिस्टम लगवाना एक समझदारी भरा कदम है, क्योंकि इससे न सिर्फ आपका बिजली का बिल कम होगा, आप बेफिक्र होकर बिजली का इस्तेमाल कर सकेंगे। इतना ही नहीं, इससे गांवों में बार बार बिजली जाने जैसी समस्याओं से भी छूटकारा मिलेगा।
लेकिन सोलर सिस्टम लगाने से पहले सबसे बड़ा सवाल मन में यही आता है कि मेरे लिए कितने किलोवाट (kW) का सोलर सिस्टम सही रहेगा? या मुझे कितने किलोवाट (kW) का सोलर सिस्टम लगवाना चाहिए। इस आर्टिकल में हम इसे आसान तरीके से समझेंगे ताकि आप अपनी बिजली की खपत के हिसाब से सही सोलर सिस्टम चुन सकें और उसका पूरा फायदा उठा सकें।
आर्टिकल के विषय : सोलर सिस्टम, सोलर पैनल, बिजली का बिल, किलोवाट सोलर, सोलर इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा, ऑन-ग्रिड सोलर, ऑफ-ग्रिड सोलर, हाइब्रिड सोलर, सोलर सब्सिडी, घर के लिए सोलर, सोलर कीमत, सोलर कैलकुलेटर, सोलर पैनल का चुनाव।
सोलर सिस्टम क्यों लगवाएं? (सोलर के फायदे)
सोलर सिस्टम लगवाने के कई बड़े फायदे हैं:
1. बिजली के बिल में भारी बचत: सोलर सिस्टम लगवाने का यह सबसे बड़ा और सीधा फायदा है। सोलर सिस्टल लगवाने के बाद आप अपने घर या दुकान की ज़्यादातर या पूरी बिजली की ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं, जिससे हर महीने आने वाले बिजली के बिल में काफी कमी आती है।
2. सरकारी मदद और छूट: सोलर सिस्टल लगवाने के लिए भारत सरकार और राज्यों की सरकारें कई तरह की सब्सिडी और छूट देती हैं, जिससे इसे लगवाने का शुरुआती खर्च कम हो जाता है।
4. बिजली की आज़ादी: सोलर सिस्टम लगवाने का फायदा यह होता है कि जब बिजली गुल हो या ग्रिड में कोई दिक्कत आए, तब भी आपके पास अपनी बिजली होती है। इसके लिए ऑफ-ग्रिड या हाइब्रिड सिस्टम लगवाना पड़ सकता है।
6. लंबे समय तक फायदा: सोलर पैनल आमतौर पर 25 साल या उससे भी ज़्यादा चलते हैं, इसलिए एक बार इसे लगवाने के बाद लम्बे समय तक फायदा मिलता है।
सही किलोवाट (kW) सोलर सिस्टम कैसे चुनें?
अगर आप सोलर सिस्टम लगवाने का सोच रहे हैं तो अपनी बिजली की खपत के हिसाब से सही सोलर सिस्टम चुनना बहुत ज़रूरी है। अगर आप छोटा सिस्टम लगा लेंगे तो आपकी ज़रूरतें पूरी नहीं होंगी, और अगर बहुत बड़ा सिस्टम लगा लेंगे तो फालतू में पैसा खर्च हो जाएगा। आइए, समझते हैं कि इसका सही अंदाज़ा कैसे लगाएं।
अपने पिछले बिजली खर्च को समझें
सोलर सिस्टल लगवाने के लिए यह सबसे पहला और सबसे ज़रूरी काम है। आपको यह पता लगाना होगा कि आप हर महीने औसतन कितनी बिजली इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए अपने पिछले 6 से 12 महीनों के बिजली के बिल देखना चाहिए। अपने बिलों पर ‘kWh’ (किलोवाट-घंटे) में लिखी मासिक खपत को ध्यान से देखें। इसके बाद औसत निकालने के लिए, पूरे साल की कुल खपत को 12 से भाग दें।
जैसे, अगर आपकी एक साल की कुल खपत 3600 kWh है, तो हर महीने का औसत 300 kWh होगा। फिर, हर दिन की औसत खपत निकालने के लिए महीने के औसत को 30 से भाग दें (जैसे: 300 kWh / 30 दिन = 10 kWh हर दिन होगा। आगे की गणना हम इसी 10 kWh प्रति दिन के आधार पर करेंगे।
सोलर पैनल से कितनी बिजली बनेगी?
हमारे देश, आमतौर पर 1 किलोवाट का सोलर सिस्टम हर दिन लगभग 4-5 यूनिट (kWh) बिजली बनाता है। यह शहर, मौसम, सोलर पैनल के प्रकार, शेडिंग और इंस्टॉलेशन की क्वालिटी पर निर्भर करती है। आपके घर या जहां इंस्टॉलेशन होना है, वहां पर कितनी देर तक तेज धूप आती है। आमतौर पर 5 से 6 घंटे तक धूप रहती है घरों पर।
साथ ही, इसमें ये भी देखा जाता है कि इंस्टॉलेशन में होने वाले तार, इन्वर्टर और तापमान की वजह से होने वाले नुकसान वगैरह के कारण कुल उत्पादन में 15-20% की कमी आ सकती है। इस नुकसान को भी हिसाब में रखना चाहिए।
कितने किलोवाट (kW) सोलर सिस्टम की ज़रूरत होगी?
अब जब आपके पास रोज़ाना की खपत और प्रति kW सोलर सिस्टम का अंदाज़ा आ जाएगा, तब आप आपको आवश्यक क्षमता की गणना कर सकते हैं। इसके लिए एक आसान नियम अपना सकते हैं। इससे पूर्व हमने समझा था कि प्रति दिन 10 kWh यूनिट या सामान्य भाषा में दिन के 10 यूनिट की आवश्यकता पड़ेगी। उदाहरण के लिए, आप अपनी मासिक यूनिट में 120 या 115 से भाग दे सकते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि हमनें प्रति माह यूनिट खर्च में 120 या 115 में भाग क्यों दिया। देखिए, अनुमानित एक किलोवाट का सोलर सिस्टम प्रतिदिन 4 यूनिट बिजली बनाता है, तो 30 दिनों में यह 120 यूनिट बिजली हर महीने बनाएगा। इसी तरह यदि यह प्रतिदिन 5 यूनिट बिजली बनाता है, तो 30 दिनों में यह 150 यूनिट बिजली बनाएगा।
अब समझने में आसानी होगी। उदाहरण के लिए, अगर आपको हर महीने 300 यूनिट की आवश्यकता है, तो 300/120 = 2.5 kW का सोलर सिस्टम ज़रूरी होगा। इसी प्रकार अनुमानित लगभग 100-150 यूनिट मासिक खपत के लिए 1 kW, 250-350 यूनिट के लिए 3 kW, और 500-750 यूनिट के लिए 5-7.5 kW का सोलर सिस्टम उपयुक्त रहेगा।
क्या सोलर सिस्टम घर की छत पर लगवाना सही रहेगी?
देखिए, सोलर पैनल लगाने के लिए अच्छा स्पेस और धूप वाली जगह होना बहुत जरूरी है। ऐसे में छत पर लगवाया जा सकता है। इसके अलावा, खुली जगहों पर लगवाना चाहिए। अब आप सोच रहें होंगे कि ‘सोलर सिस्टल लगवाने के लिए कितनी जगह चाहिए? इसे आसान भाषा में समझें तो एक किलोवाट सोलर सिस्टम के लिए लगभग 80-100 square feet धूप पहुंचने वाली जगह चाहिए होती है। इसी को ध्यान में रखकर अगर आप तीन किलोवाट सोलर सिस्टम लगवाने की सोच रहे हैं, तो करीब 250 से 300 square feet जगह की आवश्यकता पड़ सकती है।
सोलर सिस्टम कितने तरह के होते हैं?
अपनी ज़रूरतों के हिसाब से सोलर सिस्टम का प्रकार चुनना भी बहुत जरूरी है। ये तीन प्रकार के होते हैं। आइए, इसे समझते हैं।
1. ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम सीधे बिजली के ग्रिड से जुड़े होते हैं और दिन में बिजली बनाते हैं। अगर ज़्यादा बिजली बनती है तो उसे वापस ग्रिड को भेज देते हैं जिसे नेट मीटरिंग कहते हैं। जिसके बदले आपके बिजली के बिल में छूट मिलती है। ये सिस्टम तब काम नहीं करते जब ग्रिड से बिजली बंद हो जाती है।
2. ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम ग्रिड से नहीं जुड़े होते हैं, और इनमें बैटरी लगी होती है जो ज़्यादा बिजली को स्टोर करती है। यह उन इलाकों के लिए अच्छा है जहाँ बिजली बहुत कटती है या जहाँ ग्रिड की पहुँच नहीं है, हालांकि इनकी लागत ऑन-ग्रिड सिस्टम से जरूर ज़्यादा होती है।
3. तीसरा विकल्प है हाइब्रिड सोलर सिस्टम जोकि ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड दोनों का मिला-जुला रूप हैं। ये ग्रिड से जुड़े होते हैं और इनमें बैटरी का बैकअप भी होता है, जो ग्रिड की बिजली के साथ-साथ बिजली कटौती के दौरान भी बैकअप देते हैं। यह अच्छा विकल्प माना जाता है, महंगा होता है।
सोलर सिस्टल लगवाने के लिए सब्सिडी सरकार की योजना क्या है?
केन्द्र और राज्य सरकार सोलर सिस्टम लगवाने के लिए सब्सिडी देती है। अगर आप इसके बारे में जानना चाहते हैं तो नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर आर्टिकल को पढ़ें।
सोलर सिस्टल लगवाते समय सही किलोवाट का सोलर सिस्टम चुनना आपके बिजली के बिल को कम करेगा और सौर ऊर्जा का आप फायदा उठा सकेंगे। अगर आप अपने घर पर सोलर सिस्टम लगवाने का सोच रहे हैं तो किसी अच्छे सलाहकार या अनुभवी व्यक्ति से भी राय जरूर लें।
Q&A आपके सवाल जवाब
1. सोलर सिस्टम क्या होता है और यह कैसे काम करता है?
सोलर सिस्टम सूर्य की रोशनी को बिजली में बदलने वाला एक सेटअप होता है। इसमें सोलर पैनल, इन्वर्टर और बैटरी जैसे उपकरण लगे होते हैं।
2. घर के लिए कौन सा सोलर पैनल सबसे अच्छा है?
Mono PERC सोलर पैनल अधिक कुशल और कम जगह में ज्यादा बिजली देता है। यह घरेलू उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।
3. सोलर लगाने से बिजली का बिल कितना कम हो सकता है?
सही साइज के सोलर सिस्टम से बिजली का बिल अनुमानित 70%–100% तक कम किया जा सकता है। ग्रिड-टाई सिस्टम में बिल लगभग शून्य भी हो सकता है।
4. 1 किलोवाट सोलर सिस्टम कितनी बिजली बनाता है?
1kW सोलर सिस्टम रोजाना लगभग 4 यूनिट और सालाना 1400–1500 यूनिट बिजली बना सकता है। यह छोटे घर के लिए पर्याप्त होता है।
5. सोलर इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया क्या है?
इसमें साइट सर्वे, सोलर डिजाइन, अप्रूवल, इंस्टॉलेशन और टेस्टिंग आदि प्रक्रिया शामिल होती है। सोलर सिस्टम लगाने का पूरा काम लगभग 7 दिन में पूरा होता है।
6. ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम और ऑफ-ग्रिड सोलर में क्या फर्क है?
ऑन-ग्रिड सिस्टम बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है, वहीं ऑफ-ग्रिड बैटरी पर चलता है। ऑन-ग्रिड में बिजली बिल में क्रेडिट मिल सकता है।
8. हाइब्रिड सोलर सिस्टम कैसे काम करता है?
यह ग्रिड और बैटरी दोनों से जुड़ा होता है। जब ग्रिड बंद हो जाए, तब भी बैकअप के रूप में बैटरी काम करती है। यह अच्छा माना गया है।
9. भारत में सोलर सब्सिडी कैसे मिलेगी और कौन पात्र है?
सरकार घर के लिए 20%–40% तक सब्सिडी देती है। सब्सिडी पाने के लिए DISCOM या MNRE पोर्टल पर आवेदन करना होता है।
10. घर के लिए कितने किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाना चाहिए?
बिजली खपत के अनुसार आमतौर पर 2kW–5kW का सिस्टम घरों के लिए उपयुक्त होता है। हर 1kW लगभग 4 यूनिट/दिन बनाता है।
11. सोलर सिस्टम की कुल कीमत कितनी आती है?
बिना सब्सिडी के 1kW सिस्टम की कीमत ₹60,000–₹75,000 हो सकती है। सब्सिडी के बाद कीमत कम हो जाती है।
12. सोलर कैलकुलेटर से कैसे पता करें कि हमें कितने किलोवाट का सिस्टम चाहिए?
सोलर कैलकुलेटर आपकी मासिक बिजली खर्च देखकर सिस्टम साइज सुझाता है। MNRE या बिजली कंपनियों की वेबसाइट पर यह टूल मिलता है।
13. सोलर पैनल चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
दक्षता (Efficiency), वारंटी, ब्रांड और तकनीक (Mono vs. Poly) सबसे महत्वपूर्ण हैं। BIS सर्टिफाइड पैनल ही खरीदना चाहिए।
14. क्या सोलर पैनल बारिश या बादल में भी काम करता है?
हाँ, लेकिन उत्पादन कम हो जाता है। बादल या बारिश में सोलर पैनल 20%–30% क्षमता पर काम करते हैं।
15. सोलर सिस्टम लगाने में सरकारी सहायता मिलती है क्या?
हाँ, MNRE और राज्य सरकारें सब्सिडी और गाइडलाइन देती हैं। इसके लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है।